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पर्यटन स्थल बनाने के लिए चंबल बीहड़ों का किया निरीक्षण

भिण्ड.ShashikantGoyal/ @www.rubarunews.com>> चंबल की बीहड़ में प्राचीन स्थल में अटेर का किला, मंदिर, नदी में उछल कूंद करती डॉल्फिल, स्वतंत्र रूप से विचरण करते घडिय़ाल और मगरमच्छ। यह सब एक साथ नजर आने पर पर्यटक को खूब भाएगा। यहां पर राजस्थान की तर्ज पर बीहड़ सफारी (चंबल सफारी) तैयार की जा सकती है। इसको लेकर मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड का एक दल भिंड आया। यह दल के सदस्यों ने अटेर व चंबल के किनारे की लोकेशन देखी। यहां आए दल के सदस्यों को अटेर का किला खूब भाया। इसके अलावा बीहड़ का शांत वातावरण, चंबल नदी के किनारे पर बालू का किनार और घडिय़ाल व डॉल्फिन भी देखने के लिए पहुंचे। दल में पर्यटन बोर्ड के संयुक्त संचालक एसके श्रीवास्तव ने कहा कि देश में बीहड़ दर्शन को लेकर संभावनाएं खोजी जा रही है। पर्यटकों को बीहड़ को लेकर केबल संभावनाएं चंबल की बीहड़ में ही सबसे उत्तम है। इसके लिए अटेर सबसे बेहतर अब तक स्थान नजर आया। यह स्थान आगरा और ग्वालियर शहर के मध्य में है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव की रिपोर्ट विभाग के वरिष्ठ अफसरों को सौंपी जाएगी।

 

बढ़ेगा रोजगार, जीवन स्तर में होगा सुधार

पर्यटन की संभावना को तलाशने आए दल के सदस्यों की बात को माने तो यहां पर्यटन विभाग द्वारा बीहड़ सफारी स्पॉट खुल सकेगा। जहां देश विदेश से मेहमान आएंगे। वे चंबल की छिपी हुई प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को देखेंगे। यहां रहने, ठहरने और खान पान, आवागमन आदि की सुविधाएं बढ़ेंगी। लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, जिसे चंबल के किनारे पर रहने वाले का जीवन स्तर सुधरेगा। यहां का स्वादिष्ट भोजन में दाल, टिक्कड़, छाछ, नीबू की शिकंजी, बेलुआ का शर्बत, दाल- बाटी, मिठाई में पेड़े, कुल्फी आदि का जायका देश-विदेश में पहचाना जा सकेगा। निरीक्षण दल में संयुक्त संचालक श्रीवास्तव के अलावा संयुक्त संचालक योजना प्रशांतइ बघेल, उप संचालक सीपी निगम, युवराज पड़ोले, रीजनल मैनेजर, एमएस राना, योजना इंजीनियर अभिषेक ठाकुर, कार्यपालन यंत्री महेंद्र डंडौतिया, तहसीलदार मनोज कुमार, जिला पुरातत्व अधिकारी वीरेंद्र कुमार पांडेय, डॉ मनोज जैन, प्रबल श्रीवास्तव, अशोक तोमर मौजूद रहे।

 

यहां प्रवासी पक्षियों को नजर भी दिखता

पर्यटन विभाग के दल के सदस्यों ने बताया कि हाल में श्योपुर और मुरैना जिले का भी निरीक्षण किया था। लेकिन पर्यटकों के लिहाज से सबसे बेहतर अटेर को पाया है। संयुक्त संचालक श्रीवास्तव के अनुसार अटेर में पर्यटक ऐतिहासिक किला देख पाएंगे। राष्ट्रीय घडिय़ाल सेंचुरी, मगरमच्छ, डॉल्फिन व प्रवासी पक्षियों की अटखेलियों के नजर देख पाएंगे। यहां ऊंट की सवारी से बीहड़ का दर्शन लोगों को लुभाएगा। इसके लिए टूरिस्ट पैकेज तैयार किया जा सकेगा।

 

डकैतों की जीवन शैली को भी जानेंगे पर्यटक

यह टीम के सदस्यों ने कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस से मुलाकात की। यहां बीहड़ में कई पुराने मंदिर है। इसके अलावा बीहड़ में दुर्दांत डकैतों की जीवन शैली के बारे में जाना और पुलिस लाइन स्थित डकैतों के खात्मे की स्टोरी बताते हुए संग्रहालय को देखा। अटेर आने वाले पयर्टकों को भी डकैतों(बागियों) की कहानियां प्रदर्शित की जाएगी। ताकि लोग जान सकें कि यह क्यों डकैत व बागी बने। उनका खात्मा किस तरह हुआ। यह भी जान सकेंगे।