बफर जोन में दो दर्जन पहाड़ी दर्रे जिनमें बहता है साल भर कलकल पानी।
बूंदी.KroshnakantRathore/ @www.rubarunews.com-जिले में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में कलदां के जंगल जैवविविधता के लिहाज से काफी समृद्ध व लोगों की पहुंच से दूर है। इस बियावान एवं सदाबहार जंगल में दो दर्जन से अधिक पहाड़ी झरने है जो बारिश के साथ ही चल पड़े हैं और यहां पहुंचने वाले गिने चुने लोगों को आकर्षित कर रहे है। इस क्षेत्र में सदियों से बाघों सहित सभी वन्यजीवों की भी उपस्थिति है लेकिन अवैध शिकार के चलते यहां की जैवविविधता कुप्रबंधन की भेंट चढ़ गई है। खुले आम बाघों व बघेरों का शिकार यहां के जंगलों ने देखा है लेकिन टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अभी तक इस जंगल को विकसित करने के लिए कोई प्रभावी कार्ययोजना तैयार नहीं की है। यहां पर अवैध रूप से लोगों की आवाजाही जारी है तथा बाघों के लिए किसी प्रकार की तैयारी अभी तक वन विभाग ने नहीं की है। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर 1 में आधा दर्जन से अधिक बाघ हो चुके है और कभी भी ये कलदां के जंगलों में निकल सकते हैं लेकिन वन महकमा केवल कोर 1 को ही बाघों की शरणस्थली मान कर काम करने में जुटा है। कॉरिडोर को विकसित करने या बफर जोन को बाघों के अनुकूल बनाने में वन विभाग गंभीर नहीं है जिसका खामियाजा आने वाले समय में बूंदी की जनता व यहां के वन्यजीवों को उठाना पड़ेगा। वन्यजीव प्रेमी लंबे समय से कोर के साथ बफर को भी विकसित करने की मांग कर रहे हैं लेकिन वन विभाग ने इस मामले में रुचि नहीं दिखाई है।
बाघों का गलियारा विकसित हो तो हाड़ौती से मेवाड़-मालवा तक बढ़े बाघों का सहज आवागमन
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही बाघों को मजबूरी में अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्टिंग करने के प्रयास वन विभाग कर रहा है और इसकी शुरुआत भी हो चुकी है लेकिन यह स्थाई समाधान के रूप में नहीं देखा जा रहा है। वन्यजीव और बाघ एक्सपर्ट मानते हैं कि बाघों का जो सदियों से कॉरिडोर रहा है उसे फिर से बहाल करने की आवश्यकता है। बूंदी के जंगल उस कॉरिडोर का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारी मनमर्जी से काम कर यहां के वनों एवं जैवविविधता को खत्म करने पर तुले हुए हैं जो ठीक नहीं है। अब समय आ गया है जब आम जनता को यहां के जंगलों व बाघों के लिए जागरूक होकर आवाज बुलंद करनी होगो ताकि बूंदी को उसका खोया हुआ गौरव फिर से हासिल हो सके।
इनका कहना है
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कलदां बफर जोन को भी बाघों के अनुकूल बनाने के प्रयास कर रहे हैं और बजट मिलते ही इस क्षेत्र में भी कार्य शुरु करवा देंगे।
देवेंद्र सिंह भाटी, उपवन संरक्षक एवं उपक्षेत्र निदेशक, (बफर) रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व