राजस्थान

शाही ठाटबांट व राजसी वैभव के साथ निकली तीज माता की सवारी Teej Mata’s ride came out with royal pomp and royal splendor

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> रंग बिरंगी आतिशबाजी से जगमगाया आसमां लोक संस्कृति की छटा बिखेरते चलते लोक कलाकार, शौर्य श्रृंगार की प्रतीक कजली तीज माता की एक झलक पाने को आतुर शहरवासी।

अवसर था शनिवार को शहर में नगर परिषद की ओर से शाही अंदाज में निकाली गई कजली तीज माता की शोभायात्रा का। शोभायात्रा नगर परिषद सभापति मधु नुवाल द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना के साथ रामप्रकाश टॉकीज से रवाना की गई। जो शहर के प्रमुख मार्ग से होती हुई खोजा गेट रोड से मेला स्थल कुंभा स्टेडियम पहुंची। जहां कार्यक्रम के अतिथि पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा, जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी, पुलिस अधीक्षक जय यादव द्वारा तीज माता की आरती की गई। शोभायात्रा में बाबा बलवंत सिंह का रथ शामिल था। उसके आगे 20 घुड़सवार ध्वज लेकर चल रहे थे। साथ ही शिव पार्वती की झांकी, श्याम दरबार, महाबली बजरंगबली, राधा कृष्ण, रामापीर कच्ची घोड़ी, शाही घुड सवार, घोड़े, पंजाब बैंड व मस्क बैंड आकर्षण का केंद्र रहे। बैंड बाजों द्वारा विभिन्न प्रकार की स्वर लहरियां बिखरे हुए लोगों के मन को भर रहे थे। इसके साथ शोभायात्रा में एक सुसज्जित विमान में श्रृंगारित कजली तीज माता शामिल थी। शोभायात्रा का शहरवासियों द्वारा जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। शहर की छतें व सड़के लोगों से अटी हुई थी।
इस दौरान नगर परिषद सभापति मधु नुवाल, उपसभापति लटूर भाई, पूर्व प्रधान भगवान नुवाल, कांग्रेस शहर अध्यक्ष शैलेश सोनी, आयुक्त महावीर सिंह सिसोदिया, पार्षद टीकम जैन, इरफान इल्लू, हेमंत वर्मा, प्रेमप्रकाश एवरग्रीन, विजय सिंह गहलोत, बालमुकुंद सोनी, संदीप देवगन, रामराज अजमेरा, जितेंद्र मीणा, जितेंद्र दाधीच, ममता शर्मा, मोनिका शेरगढ़िया, सूरज बिरला, संध्या रावल, राजेश शेरगढ़िया, रविशंकर गौतम, राजकुमार दाधीच ओमप्रकाश जांगिड़ आदि शामिल रहे।
पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए पार्षद
कजली तीज माता की शोभायात्रा में नगर परिषद के सभी पार्षद पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए। जिसमें महिला पार्षद लहरिया साड़ी ओढे व पुरुष पार्षद सफेद कुर्ता पजामा केसरिया पगड़ी धारण करके शोभायात्रा में शामिल हुए जिन्हें दर्शकों ने सराहा।

शाही ठाटबांट व राजसी वैभव के साथ निकली तीज माता की सवारी Teej Mata’s ride came out with royal pomp and royal splendor

आज इस मार्ग से निकलेगी शोभायात्रा
तीज मेला मीडिया प्रभारी हेमराज सैनी ने बताया कि रविवार को भी कजली तीज माता की शोभायात्रा निकाली जाएगी। जो बालचंदपाड़ा स्थित रामप्रकाश टॉकीज से सायं 5 बजे शुरू होगी। जो नाहर का चौहटा, तिलक चौक, सदर बाजार, चौगान गेट, इंद्रा मार्केट, खोजा गेट रोड होती हुई मेला स्थल कुंभा स्टेडियम पहुंचेगी। जहां अलगोजा कार्यक्रम होगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक अशोक डोगरा होंगे।

कजली तीज स्त्री के सुहाग का ही नहीं हाडाओं के शौर्य पराक्रम का प्रतीक भी

जहां कजली तीज महिलाओं के सौलह श्रृंगार और पति-पत्नि के प्रेम का प्रतीक हैं, वहीं यह पर्व हाडा चौहानों के शौर्य और पराक्रम का भी प्रतीक है।  कजली तीज का ऐतिहासिक महत्व बून्दी राज्य के गोठड़ा ठिकाने के ठाकुर बलवन्त सिंह हाड़ा से जुड़ा हुआ हैं। कहा जाता हैं कि एकबार अपने मित्र के यह कहने पर की, “जयपुर में तीज की भव्य सवारी निकलती हैं, ऐसी सवारी अपने यहां निकले तो शान की बात रहे।” हालांकि कहने वाले साथी ने यह बात सहज ही कही हो, लेकिन ठाकुर बलवन्त सिंह के मन मे यह बात लग गई। श्रावण शुक्ल तृतीया को निश्चित कार्यक्रमानुसार जयपुर के मुख्य बाजारो में राजसी ठाठबाट और शाही लवाजमें के साथ तीज माता की सवारी निकाली जा रही थी। ठीक इसी समय गोठड़ा के ठाकुर बलवन्त सिंह अपने विश्वस्त साथियों के साथ जयपुर के शाही लवाजमें के बीच मे से तीज माता की स्वर्ण जडित प्रतिमा को लूटकर वापिस गोठड़ा के लिए निकल लिये। ठाकुर बलवन्त सिंह हाड़ा ने गोठड़ा पहुँच कर भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजली तीज के तीज माता की भव्य सवारी का आयोजन सम्पन्न करवाया। यह घटना 1819 के आसपास की है।
महारावराजा राम सिंह लाए बून्दी में तीज को, 21 तोपों की सलाती से निकलने लगी तीज
1824 ई. में कार्तिक पूर्णिमा मेले के दौरान केशवराय पाटन में ठाकुर बलवन्त सिंह की मृत्यु के बाद महारावराजा राम सिंह तीज माता की प्रतिमा को बून्दी ले आए, जहाँ तीज माता की सवारी भव्य रूप में शाही लवाजमें के साथ 21 तोपों की सलामी से बून्दी के बाजारों मे निकलने लगी। बून्दी के राजपरिवार की शाही सवारी इस तीज माता  को भव्यता दिव्यता प्रदान करने लगी। इस सवारी में बून्दी रियासत के जागीरदार, ठाकुर, धनाढ्य लोग और जनसाधारण अपनी परंपरागत पोशाक पहनकर पूरी शानो शौकत के साथ इसमें भाग लेते थें। सैनिकों द्वारा शौर्य प्रदर्शन किया जाता था। सौलह श्रृंगार से सजी धजी लहरिया पहने हुए महिलाएं तीज माता की सवारी में चार चांद लगाती थी।