विश्व शांति व मानव कल्याण की कामना के साथ श्रावणी कर्म सम्पन्न
बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-बूंदीस्थ ज्योतिष व धर्मशास्त्र परिषद द्वारा शुक्रवार को जेतसागर किनारे स्थित माधव की पैड़ियों पर श्रावणी कर्म का विधि विधान के साथ आयोजन किया इस अवसर पर विप्रजन ने वैदिक मंत्रोच्चार की आध्यत्मिक ध्वनियों के साथ विश्व शांति व मानव कल्याण की कामना की।
परिषद के मीडिया प्रभारी ज्योतिषाचार्य प.विनोद गौतम ने बताया कि श्रावणी कर्म का प्रतीक रूप में किया जाने वाला यह विधान हमें स्वाध्याय और सुसंस्कारों के विकास के लिए प्रेरित करता है।
परिषद के अध्यक्ष पंडित श्रीकांत चालकदेवी वाले के निर्देशन व परिषद के मंत्री आचार्य पुरुषोत्तम शर्मा के नेतृत्व में पंडित सीताराम शर्मा,धर्मपाल शास्त्री ,अनिल शर्मा वेदपाठी , आशीष शर्मा, उच्छब लाल शर्मा, टीकम शास्त्री व हेरम्ब जोशी के द्वारा श्रावणी उपाकर्म उत्सव में वैदिक विधि से हेमादिप्राक्त, प्रायश्चित, संकल्प, सूर्याराधन, दसविधि स्नान, तर्पण, सूर्योपस्थान, यज्ञोपवीत धारण, प्राणायाम, अग्निहोत्र व ऋषि पूजन कराया गया, सामूहिक मंत्रोच्चार करते हुए सभी वेद पाठियों ने शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक शुद्धि की। इस अवसर पर विद्वजन ने विभिन्न वेदोक्त अनुष्ठानों से स्वस्तिवाचन, शांतिपाठ के साथ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभाध्यक्ष सांसद ओम बिरला, राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री अशोक चांदना, जिला प्रमुख चंद्रावती कंवर, चेयरमेन मधु नुवाल, जिला कलेक्टर डॉ रविन्द्र गोस्वामी, पुलिस अधीक्षक जय यादव की स्वस्थता व कुशल नेतृत्व की मंगल कामना की राष्ट्र व जिले में सुख शांति व समृद्धि के साथ उत्तरोत्तर विकास की कामना की।
वरिष्ठ सदस्य लक्ष्मीकांत शर्मा ने श्रावणी कर्म के जनहित में आयोजन का आध्यात्मिक पक्ष स्पष्ट किया उन्होंने कहा कि प्रकृति के बिना मानव अस्तित्व की कल्पना सम्भव नहीं है। श्रावण का अर्थ होता है जिसमें सुना जाए संसार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण ईश्वरीय ज्ञान वेद है इसलिए इस मास में वेदों को सुना जाता है ऐसे प्रकृति अनुकूल अवसर को हमारे वैज्ञानिक सोच रखने वाले ऋषियों ने वेदों के स्वाध्याय चिंतन मनन एवं आचरण के लिए अनुकूल माना इसलिए श्रावणी पर्व को प्रचारित किया ताकि मनुष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति करें।इस अवसर पर बोलते हुए मंत्री शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिक पक्ष से श्रावण में वर्षा के कारण कीट पतंगे से लेकर वायरस, बैक्टीरिया सभी का प्रकोप होता है जिससे अनेक बीमारियां फैलती है । प्राचीन काल से अग्निहोत्र के माध्यम से बीमारियों को रोका जाता था इसलिए इसका विशेष प्रावधान किया जाता है और वेद परायण यज्ञ को इसमें सम्मिलित किया है। विनोद गौतम ने कहा कि श्रावणी पर्व का एक पक्ष यह है कि यह मानव व प्रकृति के सम्बंध का सूचक है और पर्यावरण रक्षा के रूप में प्रचलित है। इसी प्रकार सामाजिक पक्ष के तहत ज्ञानी मनुष्य द्वारा समाज को दिशा निर्देशन एवं धर्म भावना को समृद्ध करना भी इसमें निहित है। वेदपाठी अनिल शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया व आभार प्रकट किया।