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रामकथा श्रवण से समाप्त हो जाती है जीवन की हर व्यथा

कोटा.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- दशहरा मैदान स्थित श्रीराम रंगमंच पर चल रहे श्रीराम कथा महोत्सव के दूसरे दिन पूज्य संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने माता सती और भगवान शिव के संवाद व रामकथा के आध्यात्मिक प्रसंगों का रसप्रद और ज्ञानवर्धक वर्णन किया। कथा में पूज्य संत श्री ने कहा कि मन का स्वभाव है लगना, वाणी का स्वभाव है बोलना। अब यह तय आपको करना है कि मन संसार में लगे या भगवान में। इसी को उन्होंने वैराग्य और विवेक का मूल बताया। माता सती और शिव प्रसंग में उन्होंने बताया कि शिवजी स्वयं राम का जप करते हैं, और माता सीता एवं भगवान शंकर के बीच संवाद के माध्यम से उन्होंने राम कथा को मोह और भ्रम से मुक्ति का साधन बताया।

कथा के दौरान सती-शिव संवाद का उल्लेख करते हुए मुरलीधर जी महाराज ने बताया थी माता सती को प्रभु श्रीराम की दिव्यता पर संदेह होता है। भगवान शिव माता सती को समझाते हैं कि श्रीराम कोई साधारण मनुष्य नहीं, साक्षात ब्रह्म हैं, तो सती उनकी बात पर संशय करती हैं और श्रीराम की परीक्षा लेने जाती हैं। लेकिन राम जी उन्हें बिना देखे ही पहचान लेते हैं, और सती भीतर से व्याकुल हो जाती हैं और उन्हें पश्चतापकरना पड़ता है।

पूज्य संत ने कहा कि यह प्रसंग हमें सिखाता है कि जब श्रद्धा में संशय आ जाए, तो वह भक्ति नहीं रह जाती। रामकथा केवल भगवान की महिमा नहीं बताती, यह मन के भीतर के भ्रम और अहंकार को पहचानने का साधन भी है। राम कथा वो सरोवर है जिसमें बार-बार डुबकी लगाकर ही मन पवित्र होता है। हनुमान जी महाराज स्वयं कहते हैं कि जीवन की सारी व्यथा रामकथा सुनने से मिट जाती हैं। यह कथा केवल ज्ञान नहीं, मन की शुद्धि और चेतना का जागरण है।

संत का स्वरूप और राम का तत्व
व्यासपीठ से पूज्य संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि संत की कोई जाति नहीं होती।
जिसके साथ कुछ लोग चलें, वह पंथ होता है, लेकिन जिसके साथ सभी चलें, वही सच्चा संत होता है। उन्होंने कहा कि संत परमार्थ का मार्ग दिखाता है, मोह और भ्रम को काटता है।
महाराज श्री ने श्रद्धालुओं से कहा कि भगवान के द्वार पर जाने के लिए पद, कद, अहंकार और बुद्धि का त्याग आवश्यक है। प्रभु राम सहज हैं, उनसे कुछ मांगने की आवश्यकता नहीं होती जब भाव शुद्ध होता है, तो वह स्वतः दे देते हैं।

श्रद्धा और समर्पण से ही बनता है ईश्वर से संबंध
संत श्री ने प्रवचन में जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम हमेशा चाहते हैं कि जो हम करें, वही हो; लेकिन जो हम चाहते हैं, वह तभी संभव है जब हम वही करें, जो भगवान चाहते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम वही करे जो प्रभु की इच्छा हो तो वही होगा जो हम चाहते हैं। उन्होंने जीवन में निराशा नहीं, श्रद्धा और समर्पण का भाव बनाए रखने पर बल दिया। कथा के दौरान जैसे ही “मन सीताराम रट रे, तेरे संकट जाएंगे कट रे…” और “जाबा द्यो सखियों म्हानें शिव जी लडेला ये…” जैसे भजन गूंजे, पूरा वातावरण भक्ति में सराबोर हो उठा।

आज से 2 बजे प्रारंभ होगी श्रीराम कथा
दूसरे दिन कथा गायन दोपहर 2:30 बजे से सायं 7:00 बजे तक चला। श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए महाराज श्री ने घोषणा की कि अब प्रतिदिन कथा का समय दोपहर 2:00 बजे से सायं 6:30 बजे तक निर्धारित रहेगा। श्रीराम कथा सेवा समिति की संरक्षक डॉ. अमिता बिरला, आयोजक अशोक जाजोदिया, आनंद जाजोदिया, सीता देवी, अनन्त प्रकाश जाजोदिया सहित समस्त जाजोदिया परिवार व समिति पदाधिकारियों ने व्यासपीठ की पूजा कर संत श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया।