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जटिल मोतियाबिंद के सफल ऑपरेशन से लौटी मरीज की आंखों की रोशनी

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>>22 साल पहले 2002 में खेल खेल में आंख में बबूल का कांटा लग जाने से एक 12 वर्षीय बालक  बालक शैतान सिंह को कांटे से लगी चोट के कारण आंख में धीरे धीरे मोतियाबिंद बनता गया और आंख से दिखाई देना बंद हो गया। जिसकी आंखो में यह दिवाली उजाला लेकर आई। खोजागेट स्थित वरिष्ट नेत्र सर्जन डॉ. संजय गुप्ता ने शैतान सिंह की आंखों के जटिल मोतियाबिंद को सफल ऑपरेशन से उसकी आंखों की रोशनी लाने में सहायता की।
मरीज शैतान सिंह के अग्रवाल आई एंड स्किन हॉस्पिटल के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता के संपर्क में आने पर उन्होंने मरीज की आंख की सोनोग्राफी करवाई। सोनोग्राफी जांच मे आंख का पर्दा सही पाए जाने पर डॉ. संजय गुप्ता ने आंख के मोतियाबिंद ऑपरेशन करके लेंस प्रत्यारोपण की सलाह दी। नेत्र विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि हालांकि चोट के बहुत पुराने होने के कारण मोतियाबिंद की झिल्ली सिकुड गई। ऐसे मोतियाबिन्द मे केप्सुलोरेक्सिस करके मोतियाबिंद निकालना एक जोखिम भरा कार्य था, लेकिन चूंकि रोगी को वैसे भी इस आंख से कुछ दिखाई नही देता था तो मात्र 1 प्रतिशत सफलता की उम्मीद के बावजूद भी रोगी इस ऑपरेशन के लिए तैयार हो गया। डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि लेंस की झिल्लियों को हाय डिस्क सोलुशन की मदद से काट कर चिपके हुए मोतियाबिंद को फेको एस्पिरेशन तकनीक से निकाला और मोनोफोकल श्रेणी का सर्वश्रेष्ठ लेंस टेक्निक वन पीस लेंस लगाया गया। रोगी व चिकित्सक दोनो की खुशी का उस समय कोई ठिकाना नहीं रहा जब ऑपरेशन के बाद शैतान सिंह को लगभग 95 प्रतिशत रोशनी लौट आई।
मरीज शैतान सिंह ने बताया कि मैं अपनी आंखे की रोशनी के लिए पूरी तरह हताश हो चुका था। अंत में डॉ. संजय गुप्ता ने सोनोग्राफी के बाद जब मोतियाबिंद ऑपरेशन करके लेंस प्रत्यारोपण की सलाह दी तो हताश मन के साथ ऑपरेशन हेतु अपनी सहमति दी। लेकिन ऑपरेशन आंख में रोशनी लोट आने से मैं ईश्वर और डॉक्टर का आभारी हूं।
मरीज ने बताया कि घर की माली हालत खराब होने के और बूंदी जैसी जगह पर उस समय नेत्र चिकित्सा की सुविधा बहुत सीमित कारण पहले इसका उचित इलाज भी नहीं करवा पाया था। वहीं कोटा में भी चिकित्सको ने जटिल ऑपरेशन बताकर रोशनी आने की संभावना कम बताने से मेरे परिजनों ने डर कर ऑपरेशन नहीं करवाया।