योग से दिया विरासत संरक्षण का संदेश सूरज छतरी पर किया योगाभ्यास, आमजन से की संरक्षण की अपील Yoga practice done on sun umbrella, appeal to common people for protection
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> शहर की सबसे ऊंची पश्चिम पहाड़ी पर स्थित सूरज छतरी पर एक दिवसीय योगाभ्यास शिविर आयोजित कर विरासत संरक्षण का संदेश दिया।
दुर्गम, पथरीले, उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्ते से होते हुए छतरी पर पहुंचे योग संभाबियों को योग प्रशिक्षक भूपेन्द्र योगी ने सूर्य नमस्कार, नटराजासन, चक्रासन, उष्ट्रासन आदि आसनों एवं कपालभाति, अनुलोम-विलोम प्राणायाम का योगाभ्यास करवाया। इस दौरान योग संभागियों ने पौराणिकता महत्व की इस छतरी के क्षतिग्रस्त होने पर दुःख प्रकट करते हुए सूरज छतरी एवं अन्य पौराणिक विरासतों पर कचरा न फैलाने का संकल्प लिया एवं आमजन से संरक्षण की अपील की।
सूरज छतरी को संरक्षण के प्रकाश की दरकार
शहर की पश्चिमी पहाड़ी पर स्थित सूरज छतरी बूंदी की खूबसूरती में जड़ा एक नगीना है। सूर्य रश्मियाँ शहर में उतरने से पूर्व सूरज छतरी पर गिरती है। बूंदी के गौरवशाली इतिहास की परिचायक, आराधना स्थल उक्त छतरी इन दिनों जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। छतरी का ऊपरी हिस्सा अतिवृष्टि से प्रभावित हुआ एवं गुंबद का भीतरी भाग टूट गया। वर्तमान में छतरी का ऊपरी भाग उखड़ चुका है एवं देखरेख के अभाव में ऊपरी सतह पर अनावश्यक खरपतवार, पेड़-पौधे, झाड़ियां उगी है, जो धीरे-धीरे इसकी पौराणिकता को नष्ट कर संरचना को कमजोर कर रहे हैं। स्थिति यह है कि यदि शीघ्र इसके संरक्षण एवं जीर्णोद्धार के प्रयास नहीं किये गये तो ये ऐतिहासिक इमारत का मूल स्वरूप, खंडहर में परिवर्तित हो जायेगा और भावी पीढ़ी इतिहास के उक्त पहलुओं से अनभिज्ञ रह जायेगी।
सूरज छतरी पर किया योगाभ्यास, आमजन से की संरक्षण की अपील Yoga practice done on sun umbrella, appeal to common people for protection
350 वर्ष पुरानी है ऐतिहासिक छतरी क्षतिग्रस्त
शहर के पश्चिम में पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी पर स्थित सूरज छतरी का निर्माण विक्रम संवत् 1730 ज्येष्ठ सुदी तीज (सन् 1673) में तत्कालीन राजमाता श्याम कंवर राठौड़ ने पुत्र महाराव भाव सिंह के शासनकाल में पति महाराव छत्रसाल सिंह की स्मृति में करवाया था। तीन साल में निर्मित इस छतरी पर शहर में सबसे पहले सूर्य की किरणें पड़ती है।
लॉकडाउन में योगा-प्राणायाम का स्पॉट बनी, सनराइज-सनसेट पॉईंट होने से विशेष लोकप्रिय
छतरी के गर्भ में 4 फीट 8 इंच ऊँची सूर्य प्रतिमा, रश्मि रथ, रथ में जुते हुए सात घोड़े, सारथी एवं भगवान अरुण एक की मूर्ति में समाहित हैं। सूर्यनारायण की मूर्ति की ऐसी भव्यता देश में अन्यत्र कहीं नहीं है। पहाड़ी हरियाली के बीच यहाँ से सूर्योदय-सूर्यास्त देखने का अलग ही रोमांच है। लॉकडाउन में टूरिस्ट पॉइंट बनी सूरज छतरी पर रोज सुबह बड़ी संख्या में युवा, बच्चे सैर पर जाते हैं, व्यायाम करते हैं एवं बाहर से भी सैलानी इसकी भव्यता को देखने आते हैं।