आज जिंदा लोगों के बीच में हूं’ – अशोक शाह
भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com- अशोक शाह पर केंद्रित ’राग भोपाली’ के अंक के विमोचन के अवसर पर उत्सव मूर्ति श्री अशोक शाह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कवि लेखक के जीवन का एक अलग महत्व होता है वे जहां भी उंगली उठाते हैं वहां चीजें बदल जाती है । मुर्दे कभी करवट नहीं बदलते । इस धरती को प्यार करने वाला ही प्रतिरोध कर सकता है। भक्त कवि कबीर और रैदास ने भी मानवता के लिए अपने संदेश दिए हैं वैसे ही प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं में भी हमें यत्र तत्र प्रतिरोध के स्वर दिखाई देते हैं । सर्वप्रथम शाह पर केंद्रित ’राग भोपाली’ के अंक का विमोचन किया गया तथा उनके द्वारा रचित एक कहानी संग्रह ’अजोर’ तथा बच्चों के लिए लिखी गई किताब ’जैसे कान हवा के हिलते’ का विमोचन भी किया गया। मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए जाने माने कवि राजेश जोशी ने भी अशोक शाह की रचना धर्मिता को बहुत सराहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार रमाकांत श्रीवास्तव ने की। उन्होंने अशोक शाह के रचनाकर्म की भूरि भूरि प्रशंसा की। श्री शाह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अजय गंगवार पूर्व सचिव मध्य प्रदेश शासन और दलित साहित्य के प्रसिद्ध हस्ताक्षर पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अशंख घोष ने प्रकाश डाला। प्रोफेसर स्मृति शुक्ल ने श्री शाह की दोनों विमोचित पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की। आयोजन में स्वागत वक्तव्य दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय के अध्यक्ष रामराव वामनकर ने दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन संग्रहालय की निदेशक श्रीमती करुणा राजुरकर ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन राग भोपाली के संपादक शैलेंद्र शैली के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में राजेंद्र कोठारी, कुलेश पूर्व आईएएस अशोक निर्मल के अतिरिक्त नगर के अनेक प्रतिष्ठित गणमान्य नागरिक तथा साहित्यकार मौजूद रहे।