मध्य प्रदेश

भारतीय संस्कृति में गुरूओं का स्थान उच्च : संजीव सिंह

भिण्ड.ShashikantGoyal/ @www.rubarunews.com>> आज शिक्षक सम्मान समारोह कार्यक्रम को लेकर विधायक संजीव सिंह ने शनिवार को संस्कृति मैरिज गार्डन में पत्रकारवार्ता आयोजित की। जिसमें विधायक ने शिक्षक सम्मान समारोह (चतुर्थ) आयोजित कार्यक्रम में गुरूओं का सम्मान करने की बात कही उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में गुरूओं का सर्वोच्च स्थान है। हम शिक्षक दिवस पर अपने शिक्षकों के प्रति हृदय से भरे हुये अतुल्य आदरभाव को अर्न्तमन में समाहित कर प्रतीकात्मक अभिनंदन करना चाहते हैं। समाज व राष्ट्र का गौरव बढ़ाने वाले शिक्षकों का सम्मान करने की अभिनव परम्परा का सूत्रपात मेरे द्वारा वर्ष 2018 से किया गया, जो निरन्तर जारी है। राष्ट्र निर्माण में नई पीढ़ी को गढऩे का कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित कर उन्हें उत्साह एवं विश्वास के साथ प्रेरित करना मेरा मूल उद्देश्य है, जिससे समाज और राष्ट्र के निर्माण में शिक्षक अपनी अहम भूमिका निभा सके हमारे द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने 40 वर्षों के अध्यापन कार्य को याद करने के लिये अपना जन्म दिन सन् 1962 से शिक्षक दिवस रूप में मनाने का निश्चय किया।

विधायक ने प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि देश और समाज में रहने वाले नागरिकों के भविष्य निर्माण के द्वारा शिक्षक राष्ट्र निर्माण का कार्य करता है उनके इस महत्वपूर्ण योगदान को अविस्मरणीय मनाने के लिये हमने शिक्षक दिवस पर शिक्षकों के सम्मान करने की परम्परा को वर्ष 2018 से शुरू किया है और तभी से हर शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का सम्मान करते आ रहे है। पिछली वर्ष कोरोना महामारी के दौर में यह कार्यक्रम वर्चुअल किया गया था। लेकिन इस वर्ष हम पूर्ण मनोयोग से अपने गुरुओं का कल (05 सितम्बर) सम्मान करने जा रहे है, जिससे हमारे गुरुजन अभिप्रेरित होकर अपना सर्वश्रेष्ठ छात्रों को देंगें, जो हमारे भावी राष्ट्र निर्माताओं के उज्जवल भविष्य की नीव रखेंगें। प्राचीन काल में हमारे भारत को विश्व गुरु की उपाधि थी। विदेश से कई छात्र यहां अध्ययन करने नालंदा, तक्षशिला के विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में आते थे तथा हमारे देश की गौरवशाली परम्परा को हमारे यहां के शिक्षकों ने जीवंत बनाया। किसी भी देश का आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है। इस भौतिकवादी युग में एक शिक्षक की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हो जाती है जो अपने आने वाली पीढ़ी को कल्याणकारी, दूरगामी एवं प्रायोगिक तथा धनोपार्जन में सहायक हो ऐसी शिक्षा प्रदान करे, जिससे गुरू-शिष परम्परा जो कि भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है जीवित रह सके। हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में गुरु का स्थान माता-पिता और भगवान से भी श्रेष्ठ बताया गया है हम इस शिक्षक दिवस पर उनका सम्मान करके समाज और राष्ट्र के उत्थान में तथा भारत को नई गति नया जीवन, नई तरुणाई देने के लिये उनकी भूमिका को शत्-शत् नमन करते है। शिक्षक हमारे समाज की अमूल्य धरोहर है, इनकी सुरक्षा करना हम सभी का दायित्व है, इस कोरोना महामारी के दौर में जिन शिक्षकों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उन्हें कल यहां अनिवार्य रूप से टीकाकरण किया जायेगा। इसलिये समारोह स्थल पर एक वैक्सीनेशन सेंटर भी रहेगा। इस वर्ष शिक्षक दिवस पर लगभग 3000 शिक्षकों का सम्मान करने जा रहे हैं, भविष्य में शिक्षा की अलख जगाने वाले हर शिक्षक का वंदन और अभिनंदन करते हैं। जिससे शिक्षक अपने सर्वश्रेष्ठ योगदान द्वारा समाज और राष्ट्र को उन्नती के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा सके। अंत में सभी बंधुओं का बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।