बिहार

सरकार का रुख भी लोक नृत्य कलाकारों को लेकर उदासीन- निहारिका Government’s attitude is also indifferent towards folk dance artists-Niharika

पटना.Desk/ @www.rubarunews.com-दो साल की उम्र से ही मंच पे नृत्य करती आ रही निहारिका। जिन्हें सबसे छोटी नृत्यांगना का खिताब भी मिल चुका है। विगत 14 वर्षों से बिहार के पारंपरिक लोक नृत्यों में सक्रिय रूप से बिहार की उपस्थिति देशभर में कर रही हैं। जिसमें से प्रमुख नृत्य हैं – झुम्मर, झिझिया, जट जटिन, डोम कच, सामा चकेवा, बारह मासा, बिहार गौरव गाथा, बिहार गौरव गान, कजरी, राधा कृष्ण रास, सीता वियोग, सीता स्वयंवर, कमला पूजा, मुखौटा, चैती, होली, कटनी, रोपनी आदि। और इनमें से ख़ासकर “जट जटिन” के लिए निहारिका काफी प्रसिद्ध हैं।

सरकार का रुख भी लोक नृत्य कलाकारों को लेकर उदासीन- निहारिका Government’s attitude is also indifferent towards folk dance artists-Niharika

आपको बताते चलें कि जितने भी कला संस्कृति युवा विभाग के द्वारा महोत्सव आयोजित होते हैं, उनमें निहारिका की उपस्थिति जरूर दर्ज़ रहती है। इसके अलावे पर्यटन विभाग, ईस्टर्न जोनल कल्चरल सेंटर, नॉर्थ सेंट्रल जोन कल्चरल सेंटर, गवर्नर हाउस और दूसरे सरकारी , गैर- सरकारी आयोजनों में अपनी प्रस्तुति देती आ रही हैं।
वहीं दूरदर्शन केंद्र पटना के लिए कजरी, होली, झूम्मर, दीपावली आदि के लाइव रिकॉर्डिंग हर साल करती आ रही हैं ।

निहारिका ने नृत्य के प्रति अपनी तन्मयता और समर्पण के बारे में बात करते हुए बताया कि उन्हें नृत्य के सामने उन्हें कोई दूसरी चीज नजर नहीं आती। नृत्य उनके लिए सांस लेने जैसा है। वो लोक नृत्य को लेकर काफी संवेदनशील हैं और इसे संजोने के लिए प्रयासबद्ध हैं। ताकि आने वाले पीढ़ी को हमारे कला और संस्कृति का ज्ञान हो और वो इनसे वंचित ना रहें।

वो कहती हैं की एक तो सरकार का रुख भी लोक नृत्य कलाकारों को लेकर उदासीन है। बाकी दूसरे लोक नृत्य कलाकार अपनी कला को इतनी संजीदगी से क्यों नहीं लेते हैं? वो बस भरण पोषण भर ही अपनी कला से इत्तेफाक क्यों रखते
आगे वो कहती हैं की लोक नृत्य से ही दूसरे शास्त्रीय नृत्य निकले हैं। फिर लोक नृत्य वालों को शास्त्रीय नृत्य वालों की तुलना में उचित सम्मान क्यूं नहीं किया जाता है? और इसी लिए वो लोक नृत्य का सम्मान विश्व भर में करवाने को लेकर आतुर और तत्पर हैं। इसी क्रम में वो लोक नृत्य को लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रही हैं। जिसकी वजह से विश्व स्तर पे लोक नृत्य को पहचान मिले। जो की पैंडेमिक की वजह से अभी थोड़ा धीमा पड़ गया है। लेकिन उन्होंने इसी लोक नृत्य, संगीत और संस्कृति को संजोए रखने के लिए “मधुसूदन एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स” की भी शुरुआत की है।
आपको बताते चलें की निहारिका को अब तक कई सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें से प्रमुख हैं – कला रत्ना सम्मान, बिहार कलाश्री, ग्लोरी ऑफ बिहार, बिहार श्री रत्न, विविधता में एकता राष्ट्रीय सम्मान, इंडिया बेस्टीज अवार्ड, बिहार ज्योति अवार्ड, अंतरराष्ट्रीय मैत्री सम्मान, पिंकिश पावर विमेन अवार्ड, पाटलिपुत्र रत्ना अवार्ड, शौर्य सम्मान, इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड अवार्ड, टैलेंट अवार्ड आदि।