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सरकार, लोगों के स्वास्थ्य अधिकारों को पूरा करें, स्वास्थ्य व्यवस्था के संकट को दूर करने के लिए तुरंत कदम उठाएं

भोपाल / इंदौर.Desk/ @www.rubarunews.com>> जन स्वास्थ्य अभियान द्वारा कोविड 19 की दूसरी लहर के संदर्भ मे आज 10 मई को नेशनल डे ऑफ एक्शन के रूप आयोजित करने का निर्णय लिया है। मध्यप्रदेश में जन स्वास्थ्य अभियान द्वारा आज नेशनल डे ऑफ एक्शन के तहत कोविड की दूसरी लहर के संदर्भ मे वेबिनर का आयोजन किया गया, जिसमें इंदौर, भोपाल, हरदा, होशंगाबाद, विदिशा, छतरपुर, देवास दतिया, शहडोल, श्योपुर आदि जिलों के साथियों ने भाग लिया और कोविड 19 की स्थितियों पर विस्तार से जिलेवार स्थितियों पर चर्चा की।

मध्यप्रदेश सहित भारत भर में लोग कोविड–19 महामारी से जूझ रहे हैं,अभी तक प्रदेश मेंकुल 6.7 लाख से अधिक सक्रिय मामले और 6400 से अधिक मौतें आधिकारिक रूप से दर्ज की गई हैं। मरीज उपचार के हेतु अस्‍पतालों में उपयुक्त बेड, ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैंऔर बढ़ती मौतों के कारण शमशानों में भी अत्यधिक दबाव है। हालाँकि वर्तमान संकट के लिए केंद्र सरकार ज़िम्मेदार रही है, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं है कि इस लहर का अनुमान लगाया जा सकता था,और अधिक प्रभावी तैयारी की जा सकती थी । इसके बजायराष्ट्रीय सत्तारूढ़ पार्टी के नेता धार्मिक और राजनीतिक सामूहिक कार्यक्रमों के माध्यम से महामारी को बढ़ावा दे रहे थे ।

इस संदर्भ को देखते हुए, जन ​​स्वास्थ्य अभियान (JSA) मांग करता है कि केंद्र और राज्य सरकारों को निम्नलिखित दायित्वों को तत्काल पूरा करना चाहिए:

  1. ऑक्सीजन के साथ कोविड ​​देखभाल के लिए नि:शुल्क उपचार प्रदान करें, किसी भी कोविड ​या गैर-कोविड ​​रोगी की देखभाल से इनकार को रोकना: सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक अस्पताल में मध्यम या गंभीर कोविडरोगी जो भर्ती होना चाहते हैं उन सभी रोगियों को मुफ्त ईलाज दिया जाना चाहिए, और यदि कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं है, तो यह सरकार का कर्तव्य है कि वह रोगी को किसी अन्य सार्वजनिक या निजी अस्पताल में स्थानांतरित करे और मुफ्त ईलाज सुनिश्चित करे।मध्यप्रदेश सरकार ने आयुष्मान कार्ड धारकों को निशुल्क ईलाज देने का निर्णय है, जन स्वास्थ्य अभियान सरकार से मांग करता हैं प्रदेश के सभी पीड़ितों को निशुल्क ईलाज दिया जाए चाहेवह निजी अस्पताल हो या सार्वजनिक। साथ ही कोविड की दूसरी लहर के बाद जिन मरीजों मे निजी संस्थानों में ईलाज के नाम जो रकम खर्चा की है उसकी भरपाई राज्य सरकार करे और पीड़ितों को रकम लौटाई जाए । सरकारों को सार्वजनिक अस्पतालों में गंभीर कोविड देखभाल के लिए मौजूदा क्षमता को बढ़ाने के लिए आवश्यक रूप से मानव संसाधन,आवश्यक उपकरण, दवाओं के साथ अतिरिक्त ऑक्सीजन बेड की स्थापना करनी चाहिए। आपातकालीन कदम के रूप में, बड़े कॉर्पोरेट निजी अस्पतालोंमें उपलब्‍ध बेड्स को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित किया जाना चाहिए। सरकारी एवं निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को मेडिकल ऑक्सीजन की निरंतर और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित किया जाना चाहिए। गंभीर लक्षणों वाले मरीज़ों या जिनकी छाती के एक्स-रे/सीटी स्कैन मे कोविड बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, को आरटी-पीसीआर रिपोर्ट की अनिवार्यता के बिना, कोविड ​​-19 रोगियों के रूप में भर्ती कर ईलाज किया जाना चाहिए। सरकारों को सभी गैर कोविड ​​रोगियों जैसे तपेदिक, एचआईवी/एड्स, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों और अन्य असंक्रामक रोगों के लिए प्राथमिक से लेकर तृतीयक स्तर की देखभाल के साथ ही प्रजनन और बाल स्वास्थ्य सेवाएँ नियमित रूप से प्रदान करना चाहिएऔर इन सेवाओं की बहाली के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करना चाहिए।

 

  1. प्रभावी परीक्षण, कांटेक्ट ट्रेसिंग,आइसोलेशन सुविधाएं सुनिश्चित करें:सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी लक्षण वाले रोगियों कोअपने घर या घर के पास जाँच सुविधा उपलब्ध हो सकेऔर 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट भी मिल सके। जाँच करने वाली संस्थाओं का विस्तार और उनकी क्षमता बढ़ाई जाए।इसके लिए मजबूत सामुदायिक जुड़ाव और सामुदायिक स्वयंसेवकोंकी भागीदारी की महत्वपूर्ण होगी जो रोग के प्रसार को रोकने के लिए घर या संस्थागत क्वारेंटाइन के लिएलोगों को जरूरी शिक्षा और मदद करेंगे।
  2. कोविड -19 उपयुक्त व्यवहारों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए,सरकारों को यह समझना ​​होगा कि सामुदायिक लांछन (Stigma) से उपजी गंभीर परिस्थितियों से अधिनायकवादी दृष्टिकोण विफल हो चुका है। सरकारों को जन संचार और शिक्षा रणनीतियों में सुधार किया जाना चाहिएऔर पीड़ितोंपर दोषारोपण, उन्‍हें शर्मसार करने और दबाव बनाने से बचना चाहिए।

 

  1. प्राथमिकता के साथ कमज़ोर लोगों का सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित करें : केंद्र सरकार को वैक्सीन की खरीद के लिए समान मूल्य निर्धारण की राष्ट्रीय नीति अपनानी चाहिएऔर निवेश बढ़ाकर टीके की आपूर्ति में तेज करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। साथ ही, सभी के मुफ्त टीकाकरण हेतु वैक्सीन खरीदने और सभी राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध करवाने की प्राथमिकजिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। राज्य सरकारों को टीकाकरण केंद्रों की संख्या को बढ़ाना चाहिएऔर टीकाकरण संबंधी हिचक को दूर करने के लिए सार्वजनिक शिक्षा को बढ़ावा देते हुएसबसे कमजोर लोगों तक पहुंचने के लिए एक जन स्वास्थ्य आउटरीच कार्यक्रम तैयार करना चाहिए।
  2. निजी क्षेत्र के शोषण और गैर जरूरी ईलाज से बचाना: निजी अस्पतालों में जाँच या उपचार कराने वालों मरीजों के लिए सरकारों को शुल्‍क निर्धारण करना चाहिएऔरसक्षम संस्‍थाओं द्वारा तैयार मानक उपचार दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से चिकित्सा और वित्तीय ऑडिट किया जाना चाहिए। सरकारों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक धन से संचालित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत जिन अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है, वे इन योजनाओं के तहत पात्र लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करें। सरकार को निजी और सार्वजनिक अस्पतालों द्वारा गैर जरूरी विभिन्न दवाओं के उपयोग को जैसे फ़ेविपिरविर, कंवलसेंट प्लाज़्मा, जिनकी कोई भूमिका नहीं है, या रेमेडीसविर, टोसीलिज़ुमाब आदि की सीमित भूमिकाएँ हैं(केवल कुछ COVID रोगियों के इलाज में)को नियंत्रित करना चाहिए।
  3. नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के हनन को रोकना, विश्वसनीय आंकड़े प्रदान करना नागरिक संगठनों के साथ समन्वित प्रयासों की आवश्यकता : सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोका जाए और कोविड -19के नियंत्रण के नाम पर असहमति को दबाने और विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जाए।ये सार्वजनिक जानकारियाँ , महामारी के अधिक प्रभावी प्रबंधन और समस्या के बेहतर अनुसंधान और समझ के लिए आवश्यक है। वर्तमान में कोविड -19 से मौतों की अंडर-रिपोर्टिंग की जा रही है जो गंभीर हैऔर इसे ठीक करने के लिए अलग से खास प्रशासनिक और स्वास्थ्य ढाँचों की आवश्यकता होगी।

सरकारों के लिए यह आवश्यक है कि वे ब्लॉक, जिला और शहर के स्तर पर मौजूदा भागीदारी समितियों का गठन या विस्तार करके नागरिक संगठनों और सामुदायिक समूहों के साथ समन्वित प्रयास करें। इसके अलावा, राज्य भर में स्वास्थ्य के लिए सामाजिक कार्रवाई की सुविधा प्रदान करते हुए, जमीनी स्तर पर तत्काल प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों, स्वास्थ्य क्षेत्र के नेटवर्क आदि को मिलाकर राज्य स्तरीय सार्वजनिक और सामुदायिक स्वास्थ्य टास्क फोर्स का तुरंत गठनकिया जाए।

  1. स्वास्थ्य कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना:सरकारों को स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना चाहिए और पूरे स्वास्थ्य कर्मचारियों चाहे वे संविदा कर्मचारी हो या किसी परियोजना के हिस्से, सभी के लिए रोजगार के उचित नियम और शर्तें प्रदान करनी चाहिए।
  2. मृत्यु बाद की गरिमा और श्मशान श्रमिकों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना : सरकारों को पर्याप्त श्मशान स्थानों की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए ताकि मृतक के परिवारों को अपनी बारी के इंतजार के अतिरिक्त आघात से न गुजरना पड़े। यह भी सुनिश्चित करें कि मुख्य रूप से दलित / पिछड़ी जाति के समुदायों से श्मशान स्थलों पर काम करने वाले और जो खतरों का सामना कर रहे हैं, उन्हें मास्क,सैनिटाइज़र और अतिरिक्त मानदेय प्रदान किया जाए।

उपरोक्त दायित्वों को पूरा करने के लिए, नीतिगत उपायों की एक विस्तृत श्रृंखला की तत्काल आवश्यकता है, जिसे जन स्वास्थ्य अभियान के नेशनल डे ऑफ एक्शन के बयान मे विस्तार से लिखा गया है (देखें www.phmindia.org)। इनमें स्वास्थ्य देखभाल पर सार्वजनिक व्यय में भारी वृद्धि और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों का बड़े स्तर पर विस्तार, चिकित्सा ऑक्सीजन और दवाओंका पर्याप्त उत्पादन ओर आपूर्ति, टीके की आपूर्ति बढ़ाना और उचित सार्वजनिक नीतियों की एक श्रृंखला के माध्यम से इसके समान वितरण को सुनिश्चित करना शामिल है। यह सरकारी सुविधाओं के निजीकरण के फैसले को उलटने, वर्तमान स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की समीक्षा करने जो कि कोविड महामारी के सेवाएँ देने मे विफल रहा हैऔर निजी स्वास्थ्य क्षेत्र पर व्यापक विनियमन को लागू करने के साथ होना चाहिए।

इन मांगों को व्यापक रूप से प्रचारित करने के लिए, जन स्वास्थ्य अभियान आज (10 मई 2021)कोविड की दूसरी लहरकी स्थिति पर एक “नेशनल डे ऑफ एक्शन” का आयोजन किया गया । जिसके अंतर्गत देश भर के स्वास्थ्य कर्मी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता 20 राज्यों आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात,हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर,झारखंड, केरल,मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर,राजस्थान, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में, लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा करने और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जन स्वास्थ्य अभियान के तहत बयान जारी करने के साथ ही वेबीनार का आयोजन, ऑनलाइन चर्चाओं का आयोजन, सोश्ल मीडिया अभियान आदि का आयोजन किए गए । श्योपुर से उमेश सक्सेना, दतिया से रामजीशरण राय, सरदार सिंह गुर्जर, अशोककुमार शाक्य व बलवीर पाँचाल ने सहभागिता की।