गणतंत्र दिवस परेड की तैयारी कर रहे किसान : दीक्षित
भिण्ड.Shashikant Goyal/ @www.rubarunews.com>> आजादी के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में अन्नदाता अपना हक लेने के लिए सडक़ों पर उतरे हैं आज 47 दिन से देश के लाखों किसान मोदी सरकार से तीनों काले कानूनों को रद्द करवाने एवँ एमएसपी गारण्टी कानून बनाने की माँग को लेकर चारों तरफ़ से दिल्ली की सरहदों पर 1 डिग्री ठिठुरती सर्द रातों में जहाँ अब तक 61 किसान शहीद हो चुके हैं डटे हुये हैं। इन किसानों का सवाल ये है कि देश की संसद का शीतकालीन सत्र इसलिये कैंसिल कर दिया गया जिससे कि किसानों के इन ज्वलंत मुद्दों पर संसद के अंदर चर्चा न हो सके। जहाँ एक तरफ देश का किसान इन काले कानूनों के खिलाफ रोडों पर है और मोदी सरकार व उनके मंत्री उन कानूनों को किसान हितैषी बता रहे हैं वहीं दूसरी तरफ भाजपा सरकार के अपने ही सांसद, बिधायक से लेकर मोदी सरकार को समर्थन दे रहे दल भी इन कानूनों को किसान विरोधी बता रहे हैं तो फिर ये कानून किसान हितैषी कैसे ? केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर के ही संसदीय क्षेत्र में 1975रु क्विंटल एमएसपी वाला गेंहू सरकारी अनाजमंडी में 1621रु क्विंटल में बिक रहा है जिससे कि किसानों की 354रु प्रति क्विंटल की लूट हो रही है जबकि मंडी एक्ट की धारा अनुच्छेद 36 के अनुसार सरकारी अनाज मंडी में एमएसपी से कम दाम पर न बोली लगाई जायेगी औऱ ना ही फसलों की खरीद की जायेगी जिसकी अनदेखी कर कृषि मंत्री एमएसपी को खत्म करने की वकालत करते हैं और उन कानूनों के फायदे गिनवाने में लगे हैं जो किसानों के लिये ही नहीं देश के आमजन के लिये भी मौत के वारंट हैं।