श्योपुर की विलुप्त होती काष्ठ कला को जीवित रखने के प्रयास
श्योपुर.Desk/ @www.rubarunews.com>> श्योपुर की लगभग 500 साल पुरानी ऐतिहासिक काष्ठ कला (खराद कला) विलुप्त होती जा रही है। इस काष्ठकला को जीवित रखने के प्रयास जारी है। जिसमें खिलौनो के लिए लकडी श्योपुर में कम होने के कारण बाहर से मगाने की पहल की जा रही है। साथ ही बाजार में काष्ठकला से बने हुए खिलौनो को मार्केट प्रदान करने के लिए व्यवसायी निरंतर प्रयास कर रहे है।
जिला प्रशासन द्वारा श्योपुर की काष्ठकला को संबल प्रदान करने के लिए मप्र डे आजीविका ग्रामीण मिशन के माध्यम से प्रमोट करने की भी पहल की गई है। साथ ही विलुप्त होगी काष्ठ कला को पुनर्जीवन प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे है। काष्ठकला से खिलौना बनाने वाले दुकानदारों द्वारा अपने उत्पादन को ऑनलाइन बेचने की सुविधा के प्रयास जारी है।
शहर श्योपुर में काष्ठकला की पूरे देश में पहचान थी और कभी श्योपुर में चार सैकडो परिवारों की इस कला और व्यवसाय से आजीविका चलती थी। अब ये विलुप्त होने के कारण पर है, जिसके चलते कई लोग पलायन कर गए या अन्य व्यवसायों की ओर अपना रूख अपना रहे है। परंतु उनको उचित मार्केट लकडी का प्रबंध होने पर काष्ठकला को ओर अधिक प्रभावी बना सकते है। इस दिशा में काष्ठ कला को आजीविका मिशन के माध्यम से उत्पाद होने वाले खिलौनो एवं काष्ठ से निर्मित वस्तुओं का विक्रय, निर्माण, ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है।
जिला प्रशासन के माध्यम से शहर में काष्ठ कला के 25 कारीगर और दुकान लिस्टेड की जाकर विलुप्त होती काष्ठ काल को संवारने के प्रयास प्रारंभ कर दिये गये है। श्योपुर की काष्ठ कला में होम डेकोर, खिलौने, घर में रोजमर्रा में उपयोग आने वाली चीजे आदि प्रकार के उत्पादन बनाने की कार्यवाही करीबन 500 वर्ष से प्रचलित है।
श्योपुर की काष्ठ कला को बढावा देने के लिए जिला प्रशासन की पहल पर एनआरएलएम के माध्यम से कार्यवाही शुरू की गई थी। जिसमें गति लाने के प्रयास प्रचलित है। जिससे श्योपुर की विलुप्त होती हुई काष्ठकला को जीवनदान मिलेगा। साथ ही यहां कारीगरो के माध्यम से काष्ठ के विभिन्न प्रकार के खिलौनो को मार्केट में बेचकर उनको आर्थिक संबल देने में मदद मिलेगी।