इको टूरिज्म क्षेत्र प्रवासी, अन्तः प्रवासी व स्थानीय पक्षियों के कलरव से आबाद
बूंदी.KrishnaKantRathore/ @www.rubarunews.com – बूंदी-चित्तौड़ मार्ग स्थित भीमलत-अभयपुरा इको टूरिज्म क्षेत्र में इन दिनों प्रवासी, अन्तः प्रवासी व स्थानीय पक्षियों के कलरव से आबाद है। अभयपुरा बांध में इस साल मछली ठेका नहीं होने से बड़ी तादात में यहां विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों की जल-क्रीड़ा व स्वच्छन्द कलरव देखा जा सकता है।
अभयपुरा बांध में हर साल शीतकालीन प्रवासी परिंदे आते रहे है लेकिन मछली ठेका होने से इन पक्षियों को यहां टिकने नहीं दिया जाता था। लम्बे समय से पक्षी-प्रेमी इस बांध का मछली ठेका निरस्त कर इसे पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे थे। अब यहां मछली ठेका बंद होने से पक्षियों की तादात बढ गई है जिससे उम्मीद जगी है कि शीघ्र ही इसे पक्षी संरक्षित क्षेत्र का दर्जा प्राप्त हो सकेगा। भीमलत-अभयपुरा इको टूरिज्म क्षेत्र रेल व मुख्य सड़क से जुड़ा हुआ होने के साथ प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का भी भाग है जिससे यहां इको टूरिज्म की प्रबल संभावनाएं है। बांध में पूरे साल पानी रहता है जिससे यह वेट-लेंड कई प्रजातियों का स्थाई बसेरा बन गया है।
यहां पहुंचने वाले प्रवासी पक्षियों में इन दिनों पेलिकन व बार हेडेड गूज पक्षी अधिक संख्या में है। इसके साथ ही नोर्थन शोवलर बतखें, यूरोपियन पिनटेल, कोमन टील, पोचार्ड, ग्रे-लेग गूज, सुरखाब, गोडविट, रफ, यूरेशियन कूट आदि भी दिखाई दे रहे है। स्थानीय व अन्तःप्रवासियों में ग्रे-हेरोन, थिकनी, ओपन-बिल स्ट्रोूक, वूली-नेक्ड स्ट्रोक, पेंटेड स्ट्रोक, यूरेशियन स्पूनबिल, कोरमोनेन्ट, स्पोटबिल बतखें आदि आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
भीमलत की प्राकृतिक वेली में स्थ्ति अभयपुरा बांध सभी प्रजाति के पक्षियों के लिए बेहतर आश्रय स्थल व बूंदी जिले का प्रमुख वेट-लेंड है। इस बांध के बीच में बड़े बड़े भू-भाग टापू के रूप में है जहां पर उगे विलायती बबूलों का हटाकर अन्य पोध लगाए जाएं तो यह पक्षियों के लिए घाना पक्षी विहार की तरह राजस्थान के दूसरा पक्षी विहार बन सकता है।
पृथ्वी सिंह राजावत
पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक, बूंदी