भक्ति से सब सार्थक हो जाता है: सौभाग्य सागर
भिण्ड.shashiKantGoyal/ @www.rubarunews.com>> मरसलगंज गोरव महामृत्युंजय तीर्थक्षेत्र के प्रणेता आचार्य श्री 108 सौभाग्य सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में महामृत्युंजय जनकल्याण मंत्रानुष्ठान एवं 108 कुण्डलीय विश्व शांति महायज्ञ में सोमवार को प्रात: काल भगवान का महामस्तकाभिषेक शांतिधारा एवं महामृत्युंजय हवन का आयोजन किया गया।
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आचार्य सौभाग्य सागर महाराज ने कहा कि भगवान की भक्ति करने वाले भक्त के सारे काम स्वत: ही बन जाते है कवि धनंजय के पुत्र का विष निर्विष हो सकता है णमोकार मंत्र की आराधना से काला नाग का हार बन सकता है भक्तामर के स्मरण से ताले टूट सकते है यहां तक कि आचार्य श्री वादिराज स्वामी एकीभाव स्त्रोत में कहते है कि हे भगवन् जब आप गर्भ में आये थे उससे छह माह पूर्व देवों ने नगर स्वर्णमय बना दिया था आज मैंनें ध्यान के द्वारा आपको ह्दय मेें बैठाया है सो यह शरीर स्वर्णमय हो जाये इसमें क्या आश्चर्य है।
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आचार्य श्री ने आगे कहा कि श्रीपाल को कुष्ठ रोग था मैना सुन्दरी ने उसके निवारण का उपाय मुनिराज से पूछा था। मथुरा नगर में महामारी से बचने का उपाय मुनिराज से पूछा था। अंजना ने वन वन भटकने का कारण उसके निवारण का उपाय मुनिराज से पूछा था। प्रथमानुयोग उठाकर देखिए जितने महापुरूष हुए है, जितनी सतिया हुई है जब जब उनके ऊपर कोई संकट आया है उस संकट के निवारण का उपाय मुनिराज से ही पूछा गया है न कि पंडितों से और आज जरा सा कोई श्रावक साधु के पास आता है अपना दुख बताता है यदि साधु उस दुख से छूटने का उपाय बताता है तो कई मंडितों की भृकुटी चढ़ जाती है और उपदेश करने लगते है जरा विचार करे यदि कोई साधु किसी श्रावक को लोभवश ही सही धर्म में स्थित कर देता है तो पूर्वाचर्यों ने लिखा है कि वह स्थिति करण अंग में आता है।
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