राजस्थानस्वास्थ्य

जन्मजात जटिल मोतियाबिंद का टोपिकल फेको पद्धति से किया ऑपरेशन

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> यूं तो मोतियाबिंद सामान्यतः बढ़ती हुई उम्र के लोगों को ही होता है, लेकिन कभी कभी नवजात शिशु मे जन्मजात मोतियाबिंद के केस भी देखने को मिलते है, जो गर्भ मे कुछ बीमारियों के कारण या अनजाने कारणों से बन जाते है। ऐसे बच्चो की आंखो की रोशनी भी कम होती है। ऐसे ही जन्मजात मोतियाबिंद से ग्रस्त एक बच्चे का उपचार उसके माता पिता कम पढे लिखे होने तथा जागरूकता के अभाव मे बचपन मे ही अपने बच्चे का इलाज नहीं करवा पाए। 16 साल का होने पर इस बच्चे को माइनस 7 नंबर का चश्मा होने के बावजूद कम दिखाई देने की शिकायत होने पर  चिकित्सकों को दिखाए जाने पर दोनों आंखो मे जन्मजात मोतियाबिंद होने का पता चला। अंततः 3 दिन पहले उसका एक आंख का मोतियाबिंद ऑपरेशन अग्रवाल आई एंड स्किन हॉस्पिटल के मुख्य नेत्र सर्जन डॉ. संजय गुप्ता ने टोपिकल फेको इमल्सीफिकेशन तकनीक से कर 12.5 पावर का टेक्निस आईहेंस लेंस प्रत्यारोपण किया गया। रोगी को ऑपरेशन के अगले ही दिन से संपूर्ण दृष्टि लौट आई। सफलतापूर्वक ऑपरेशन को करने वाले नेत्र विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि बच्चो के मोतियाबिंद अत्यंत जटिल होते है, क्योकि बच्चों के मोतियाबिंद की झिल्ली के बहुत ज्यादा इलास्टिक व कमजोर होने के कारण यह झिल्ली कई बार फट जाती है, इसको ऑपरेशन करने के लिए विशेष दक्षता की आवश्यकता होती है। ऑपरेशन को सफल बनाने हेतु हाईविस्क और विस्कोट नामक इंजेक्शन काम मे लिए गये।