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त्रिकोणीय मुकाबले में फसती नजर आ रही बूंदी विधानसभा सीट

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-  जैसे-जैसे प्रदेश में ठंड का असर बढ़ता जा रहा है। वैसे-वैसे लोगों में चुनावी रंग भी चढ़ता जा रहा है। बात करें बूंदी विधानसभा सीट की तो बूंदी विधानसभा में कुल 3 लाख 9 हजार 220 मतदाता है। जिसमे 1 लाख 57 हजार 799 पुरुष एवं एक लाख 51 हजार 418 महिला मतदाता है।बूंदी विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस व भाजपा सहित कुल 12 उम्मीदवार मैदान में है। लेकिन बूंदी विधानसभा सीट धीरे-धीरे त्रिकोणीय मुकाबले में फस्ती नजर आ रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण भाजपा के युवा नेता रुपेश शर्मा द्वारा बागी बनकर निर्दलीय चुनाव लड़ना है। रुपेश शर्मा को मिल रहा अपार जनसमर्थन दोनों दलों के लिए सिर दर्द बनता जा रहा है। बूंदी विधानसभा से भाजपा ने तीन बार से लगातार जीत रहे अशोक डोगरा को चौथी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने 2018 के चुनाव में महज 713 वोटो से हार का सामना करने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरिमोहन शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है। वही लगातार 5 साल क्षेत्र में सक्रिय रहे युवा भाजपा नेता रुपेश शर्मा के बागी बनाकर निर्दलीय चुनाव लड़ने से विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन गई है। रुपेश शर्मा के निर्दलीय चुनाव लड़ने से अब भाजपा उम्मीदवार को खांसी मशक्कत करनी पड़ रही है वही हरिमोहन शर्मा द्वारा राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं क्षेत्रीय को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने नमाना गरडदा सिलोर सड़क का निर्माण करवाने चंबल की नहरों से किसानों को दोनों फसलों के लिए पानी दिलवाने तथा किए गए विकास के मुद्दो पर चुनाव लड़ा जा रहा है। तथा जनता से विकास के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं। वही भाजपा प्रत्याशी द्वारा राज्य सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार, महिला अपराध, हिंदुत्व , तुष्टिकरण, मांधाता बालाजी पर छतरी ,रास्ता एवं विकास कार्य करना, बेसहारा गोवंश को गौशाला में पहुंचना ,शहर को हेरिटेज सिटी की तर्ज पर तैयार करना सहित विभिन्न मुद्दों के साथ चुनाव लड़ा जा रहा है और वोट मांगे जा रहे हैं।भाजपा की तरफ से मतदाताओं को प्रभावित करने वाली उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा हो चुकी है वहीं कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा की गई है। जिसका मतदाताओं पर कितना प्रभाव पड़ा या पड़ेगा यह तो चुनाव नतीजे के बाद ही देखने को मिलेगा। वहीं पिछले तीन दशक से यहां विधानसभा में प्रत्याशी तो बदले लेकिन विकास के मुद्दे वही रहे विकास नाम मात्र का ही हो पाया है केवल मात्र रामगढ़ विषधारी अभ्यारण की सौगात मिली लेकिन वह भी शैशव अवस्था में होने के चलते जिले को उसका लाभ नहीं मिल पाया है। बूंदी विधानसभा में तालेड़ा बरड़ व खटखटा क्षेत्र भी शामिल है। विधानसभा से बसपा से सीता मीणा व आप पार्टी से किशन लाल मीणा भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इस विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख दलों की साख भी दाव पर लगी हुई है।