माघ शुक्ल अष्टमी पर अरणा माता का मेला आयोजित, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- अंथडा गांव स्थित अरणा माता का एक दिवसीय प्रसिद्ध मेला माघ शुक्ल अष्टमी शनिवार को गांव के पंच पटेलों की पहली पूजा चढ़ाने के बाद भोपे के गाल फोडऩे की रस्म के साथ शुरु हुआ। साल में दो बार लगने वाला अंरणा माता का एक दिवसीय सुप्रसिद्ध मेले का आयोजन माघ शुक्ल अष्टमी और भाद्रपद शुक्ल अष्टमी अष्टमी को किया जाता है। शनिवार को सुबह लक्ष्मीनारायण नागर से यहाँ से आई पूजन सामग्री से पं. दामोदर दाधीच ने मंत्रोच्चार के साथ अरणा माता जी की पूजा अर्चना की गई। मातेश्वरी की पूजा के साथ ही मंदिर में स्थापित अन्य देवी देवताओं की पूजा कर के भोग लगाने के बाद भोपे का गाल फोडऩे की रस्म सम्पन्न हुई।
मंदिर का भोपा पुजारी दुर्गा लाल माली का परिवार 13वीं पीढ़ी से माताजी की सेवा पूजा करते चले आ रहा है। गाल फोडऩे की रस्म भोपा ने सम्पन्न करवाई। गाल फोड़ने की रस्म को देखने स्थानीय ही नहीं अपितु पूरे राज्य भर से श्रद्धालु अंथड़ा में अरणा माता के दरबार में पहुँचते है। रस्म को देखने के लिए मंदिर पंडाल पूरी तरह खचाखच भरा हुआ था। इस के बाद मेले की शुरुआत अंरणा माता रानी के जयकारो के साथ हुई हर बार की तरह भोपे का गाल सहजता से फूट गया। श्रद्धालुओं में मान्यता है कि यदि भोपे का गाल सहजता से फूट जाता है। इस साल फसल अच्छी होने का प्रमाण माना जाता है।
मेले के अवसर पर शुक्रवार सप्तमी की रात को मंदिर परिसर में दुर्गा सप्तशती का पाठ व रात्रि जागरण किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। इस दौरान अन्थड़ा सरपंच संतोष नागऱ, रामकैलाश नागर, मोहन सिंह हाडा, लक्ष्मीनारायण नागर, लक्ष्मण सिंह, गजराज सिंह, मांगू सिंह, मोहन लाल नागर, रामचरण नागर, महावीर नागर, ज्ञान सिंह, मुकेश दाधीच सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और श्रद्धालु मौजूद रहे।
जागरण के लिए रात्रि को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था मेला कमेटी द्वारा की गई। शुक्रवार रात्रि से ही गांव अंथडा, बथवाडा लीलेडा व्यासान, हाड़ो का पीपल्दा, सांथेली, कराड़ का बरधा, ठीकरीया चारणान, कोथ्या, नमाना रोड, बूंदी सहित अन्य जिलों से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। माता रानी की पूजा के साथ साथ ही तेल का चढ़ावा भी चढ़ाया गया। मेले को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने अपनी व्यवस्थाएं चाक चौबंद की हुई थी।