पदस्थापन में विसंगतियों को लेकर अकाउंटेंट्स एसोसिएशन ने दी आंदोलन की चेतावनी

एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष नरेश कुमार मीणा ने बताया कि अतार्किक व्यवस्था से न केवल अधिकारियों का मनोबल टूट रहा है, बल्कि सरकारी कार्यालयों में वित्तीय अनुशासन भी भंग हो रहा है। अनुभव और नियमों की जानकारी के अभाव में नवनियुक्त कर्मचारी महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय लेने में असमर्थ हैं, जिससे सरकारी नियमों और अधिनियमों की पालना नहीं हो पा रही है। कई कनिष्ट लेखाकारों को अपने जिले में पद होते हुए भी अन्य जिले में पदस्थापित कर दिया गया है
ज्ञापन में बताया गया है कि वित्त विभाग में स्थिति बेहद चिंताजनक है। हाल ही में नियुक्त हुए अनुभवहीन कनिष्ठ लेखाकारों को सीधे सहायक लेखा अधिकारी द्वितीय और प्रथम जैसे जिम्मेदार पदों पर बिठा दिया गया है। वहीं, विभागीय पदोन्नति समिति की सिफारिशों के बाद सहायक लेखा अधिकारी द्वितीय और फिर प्रथम के पद पर पदोन्नत हो चुके वरिष्ठ अधिकारियों को उनके मूल कनिष्ठ लेखाकार के पद पर ही काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह एक ऐसी विडंबना है जहां पदोन्नत अधिकारी अपने से निचले पद पर हैं और नए कर्मचारी बिना अनुभव के उनके पद पर काम कर रहे हैं।
एसोसिएशन ने ज्ञापन में राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण और माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का भी हवाला दिया है, जिनमें स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए हैं कि कनिष्ठ लेखाकारों को सहायक लेखा अधिकारियों के पदों से हटाकर उनके मूल पद पर लगाया जाए और रिक्त पदों पर पदोन्नत अधिकारियों को ही पदस्थापित किया जाए। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था को ठीक कर न्यायसंगत पदस्थापन नहीं किए गए तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
ज्ञापन देने वालों में प्रांतीय प्रतिनिधि सुमित, कुशल, राकेश जैन, दुर्गा शंकर, सुरेश, सुरेंद्र कमल, वीरेन्द्र, मुकेश, और अन्य लेखा कर्मी शामिल रहे।