अपने मन में, अपनी सोच में आत्म-विश्वास जगाएं – पः पू. आर्यिका 105 सत्यमति माताजी
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- चौगान मंदिर में आयेजित हा ेरही र्धसभा को संबोधितम करते हुए पः पू. आर्यिका 105 सत्यमति माताजी ने कहा कि हमारे जीवन में कोई भी कार्य सभी के लिए असम्भव नहीं है, जो हम कर नहीं सकते, सारे कार्य सभी के लिए संभव है , केवल आत्मविश्वास होने की जरूरत है। अपने मन में, अपनी सोच में आत्म-विश्वास जगाएं और अपने आपको श्रेष्ठ कहें।
माताजी ने कहा कि क्षायोपशमिक ज्ञान के कारण हामारे मन में विस्मृति आ गई हैं। यदि हम किसी कारण कोई चीज भूल जाते हैं स्मरण में नहीं आती तो उसमें हमें दीन-हीन की भावना नहीं लानी चाहिए। यदि सब हमें याद रहता तो आज हम भगवान होते। सौधर्म इन्द्र की शचि इन्द्राणी, लोकपाल, दक्षिणेन्द्र, लौकान्तिक देव और अंतिम सर्वार्थसिद्धि का पद प्राप्त करते। माताजी ने कहा कि हम भगवान नहीं, कर्मों से बंधे है इसलिए चाहे रंक हो या राजा, गरीब हो या अमीर सबको कष्ट आते है इसलिए हमारे पास जो है उसी में हमें संतुष्ट रहना चाहिए।
चातुर्मास मीडिया प्रभारी अभिषेक जैन गुंजन जैन ने बताया कि सभा में मंगलाचरण बा. ब्र. धर्मिष्ठा दीदी ने किया तथा दीप प्रजवलन, चित्र अनावरण – समाज के वरिष्ठ लोगों ने किया। इस अवसर पर मुंगाणा से पधारे हेमश्री माताजी के दीक्षा के माता-पिता का सम्मान सकल समाज ने किया।
आर्यिका हेमश्री माताजी द्वारा शाम की आनन्द यात्रा करवाते हुए एक कहानी के माध्यम से सम्पूर्ण संसार का सार केले के पेड़ को छीलने के समान बताया गया और कहा कि संसार में कोई सार नहीं है यदि है तो इसमें सिर्फ स्वार्थ। बिना स्वार्थ के कोई भी रिश्ते, सम्बन्ध नहीं होते है। माताजी ने कहा कि जन्म के साथ मरण, सुख के साथ दुःख ,दुख के साथ सुख लगा हुआ है तो हमें जीवन को बिना स्वार्थ के जीना चाहिए तभी हमारा कल्याण होगा। इसी के साथ बा.ब्र.धर्मिष्ठा दीदी ने प्रश्न मंच किया और धर्म सभा का समापन हुआ। प्रारम्भ में मंगलाचरण, भक्ति चालीसा, बाः ब्रः आस्था दीदी, प्रीती दीदी ने किया।