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700 वर्षों से बरूंधन में पूजित है बिना सूंड की गणेश प्रतिमा

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बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> बरूंधन गणेश जी चमत्कारिक होने के साथ-साथ मनोकामना को पूर्ण करने वाले भी हैं। इनकी पूजा से आरंभ की गई विधि में कोई बाधा नहीं आती है। क्योंकि वह अपनी बुद्धि चातुर्य से प्रत्येक बाधा का समन कर देते हैं। लोगों का विश्वास है कि गणेश के नाम स्मरण मात्र से ही उनके कार्य निर्विघ्न संपन्न हो जाते हैं।
मान्यता है कि करीब 700 वर्ष पहले वैशाख सुदी तीज को मंदिर प्रांगण में आकोल के वृक्ष से बिना सूंड की प्रतिमा प्रकट हुई थी। इसी दौरान आमथून के सेठ लीलाशाह वहां से गुजर रहे थे। उन्होंने ऐसा चमत्कार देखा तो, वे वहां ठहर गए। बाद में उन्होंने जन सहयोग से प्रतिमा के पास मंदिर बनवाया। तभी से यहां दर्शनार्थियों की भीड़ लगने लगी और लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होने लगी। आज भी दूर-दूर से लोग शादी का पहला निमंत्रण वह पीले चावल बरूंधन गणेशजी को चढ़ाने आते हैं। बरूंधन गणेश मन्दिर बूंदी जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर बरुंधन कस्बें के पास स्थित है। यह स्थान बूंदी से कोटा जाते समय बरुंधन तिराहे से नमाना रोड़ पर 3 किमी दूर स्थित है।
इस स्थान को स्थानीय लोग रणथंभोर के बाद दूसरा स्थान मानते हैं। मान्यता है कि सूंड रणथंभोर में व धड़ बरूंधन में पूजी जाती है। जानकारी के अनुसार मनोकामना पूरी होने व चमत्कार को सुनकर बून्दी रियासत काल की ओर से 195 बीघा 13 बिस्वा जमीन गणेशजी के नाम पर दी गई थी। जिसकी देखरेख वर्तमान में ट्रस्ट के माध्यम से की जा रही है। साथ ही वर्तमान में पुराने मंदिर की जगह ट्रस्ट व जन सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। वर्षों से गणेश चतुर्थी पर यहां ट्रस्ट द्वारा गठित मेला समिति के माध्यम से तीन दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। मेले में अब तक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय ख्यातनाम कलाकार कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके है।