
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-देवपुरा के संभावनाथ दिगंबर जैन मंदिर में शांति सिंधु प्रभावना वर्षा योग समिति के अंतर्गत चातुर्मास कर रहे जैन मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने कहा कि धार्मिक व अच्छे कार्यों से जो अच्छे आत्मिक गुण प्राप्त होते हैं उन गुणों में हमेशा वृद्धि होती रहे और उन गुणों में स्थिरता रहे उसके लिए मनुष्य को पुरुषार्थ करता रहना चाहिए जबकि व्यक्ति सांसारिक सुख की वस्तु की प्राप्ति के लिए इसकी वृद्धि के लिए व उसको स्थिर रखने के लिए निरंतर प्रयास करते हुए पुरुषार्थ करते हैं।इस अवसर पर जैन मुनि ने सम्यक दर्शन के चतुर्थ दोष मूढ़ता या मूर्खता उसे विस्तृत रूप से समझाते हुए कहा कि भय आशा स्नेह व लोभ के कारण मूर्खता व अज्ञानता उत्पन्न होती है इस अज्ञानता व मूर्खता के कारण मनुष्य धार्मिक मार्ग से भटक जाता है और गलत कार्य कर बैठता है। मनुष्य के पुण्य कर्म के उदय से ही सब प्रकार की सुख संपत्ति की प्राप्ति होगी। मुनि वैराग्य सागर महाराज ने धर्म सभा में कहा कि आज के युग में मनुष्य अपने जीवन में पापों का आश्रव कर रहा है भगवान की सेवा व पूजन करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और मनुष्य को अनुकूलता मिलती है। उस अनुकूलता से उसकी सभी प्रकार की यश कीर्ति संपदा की प्राप्ति होती है।
इस अवसर पर मंगलाचरण बीना नोसँदा ने किया। दीप प्रज्वलन सीए हरीश जैन, तेजमल पूर्व तहसीलदार ओमप्रकाश जैन ने किया। शास्त्रदान मृदुला काला, प्रीति जैन बरमुंडा ने किया। धर्म सभा का संचालन ओमप्रकाश ठग ने किया।
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