साहित्य में मानवीय संवेदना का स्वर आवश्यक – डॉ रामवल्लभ आचार्य
भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com- साहित्य में मानवीय संवेदना का स्वर होना आवश्यक है ,पाठकों तक श्रेष्ठ साहित्य पहुंचे इसके लिए समीक्षकों को ईमानदारी से नीर-क्षीर समीक्षा का दायित्व निर्वहन करना चाहिए ,आज आयोजन में प्रस्तुत काव्य एवम लघुकथा की दोनों कृतियाँ निश्चित ही गद्य एवम पद्य विधाओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध करेंगी ,लघुकथा शोध केंद भोपाल का यह आयोजन निश्चित ही न सिर्फ महत्वपूर्ण है बल्कि अनुकरणीय भी यह उदगार हैं वरिष्ठ साहित्यकार और प्रांताध्यक्ष डॉ रामवल्लभ आचार्य के जो लघुकथा शोध केंद्र भोपाल व अपना प्रकाशन द्वारा आयोजित पुस्तक पखवाड़े में ‘मन का पंछी ‘ काव्य संग्रह रचनाकार मृदुल त्यागी एवम ‘ठहराव में सुख कहाँ ‘ लघुकथा सँग्रह लेखक विजय जोशी पर केंद्रित विमर्श में अध्यक्षीय उदबोधन देते हुए कही |
इस अवसर पर वरिष्ठ लघुकथाकार अंतरा करवड़े ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि-‘ मन का पंछी ‘काव्य संग्रह की कविताएं पाठक के ह्रदय को छूती हैं यह कविताएं प्रकृति की कविताएँ जो भले आकार में भले छोटी हों परन्तु भाव में बड़ी हैं ,इसी प्रकार लघुकथा सँग्रह ‘ठहराव में सुख कहाँ ‘ की लघुकथाएं यथार्थ बोध की ज़मीन से जुड़ी लघुकथाएं है |’ इस अवसर पर आयोजन में विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजकुमार निजात ने पर कहा कि ‘निराश ह्रदय में आशा का भाव जगाती हैं प्रस्तुत सँग्रह की कविताएं वहीं प्रस्तुत लघुकथा संग्रह भी समाज को सकारात्मक संदेश देता है ,दोनों रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई भविष्य में भी वे सृजनपथ पर सतत आगे बढ़ते रहें |’ समीक्षक डॉ वर्षा चौबे ने कहा कि- प्रस्तुत कविता संग्रह में कवियित्री ने सहज सरल शब्दों में अपने मन के भाव इन कविताओं में उतारे हैं ,आत्म प्रेरित स्व-अनुभूतियों से पगी इन कविताओं में हमारे समाज संस्कार और संस्कृति की चिंता स्पष्ट झलकती है |
‘ वरिष्ठ साहित्यकार और समीक्षक गोविंद शर्मा ने लघुकथा सँग्रह ‘ठहराव में सुख कहां ‘ की समीक्षा करते हुए इन्हें वर्तमान के साथ भविष्य की चिंता और उनके निदान की ओर इंगित करने वाली लघुकथाएं निरूपित किया इन लघुकथाओं में मां नर्मदा का नर्म अहसास है वही विसंगतियों के विरुद्ध मां अहिल्या देवी जैसा संघर्ष भी इन लघुकथाओं में अपने कस्बे या गांव की नहीं पूरे विश्व का चिंतन है,चिंता के साथ चेतावनी अपने समय और उससे आगे देखती हैं यह लघुकथाएं | आयोजन का सफल सुमधुर संचालन मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी ने किया कार्यक्रम के अंत में रचनाकार द्वय ने अपनी सृजन प्रक्रिया अपने अनुभवों को साझा करते हुए मंचस्थ एवं अन्य उपस्थिजनों का आभार प्रकट किया | कार्यक्रम में डॉ कर्नल गिरिजेश सक्सेना ,डॉ कुमकुम गुप्ता ,डॉ मालती बसन्त ,चंद्रा सायता, अरुण अर्णव खरे ,पवन जैन ,एन.एस.राजपूत ,अंतरा रश्मि ,दीपक शोरे,मधुलिका सक्सेना , विपिन बिहारी वाजपेई ,मधु जैन , मुकेश राठौर ,बिहारी लाल सोनी अनुज सहित अनेक गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे |