बिहारस्वास्थ्य

त्वचा – सबसे बड़ा डिटॉक्स अंग-प्रीतम कुमार सिन्हा

पटना.Desk/ @www.rubarunews.com-  त्वचा, हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग, कई महत्वपूर्ण कार्यों को निभाती है। यह हमें बाहरी संक्रमण और घावों से बचाती है, हमारी तापमान संतुलन में सहायता करती है, और विटामिन डी का उत्पादन करती है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, त्वचा शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसे “डिटॉक्स” कहा जाता है।
त्वचा के डिटॉक्स कार्य
पसीना: त्वचा के स्वेद ग्रंथियों के द्वारा पसीना का स्राव होता है। पसीना में नमक, वसा, उर्वरक, और अन्य विषाक्त पदार्थ शामिल होते हैं। स्वेदन के माध्यम से, शरीर इन पदार्थों को बाहर निकालकर डिटॉक्स करता है।
सेरेब्रोसाइड निष्पादन: त्वचा के होर्नी लेयर में सेरेब्रोसाइड निष्पादन होता है। इस लेयर की सफाई और नई सेलों के विकास के माध्यम से, त्वचा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सक्षम होती है।
सेबम और त्वचा की प्राकृतिक रक्षा: त्वचा की ऊपरी परत में सेबम ग्रंथियों द्वारा उत्पन्न सेबम नामक एक वसा युक्त पदार्थ होता है। सेबम त्वचा की नमी को बनाए रखने में मदद करता है, और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी सहायक होता है।
लिम्फ संचारण: त्वचा के लिम्फ संचारण प्रणाली के माध्यम से, विषाक्त पदार्थ और अवशेषों को शरीर से बाहर निकाला जाता है। लिम्फ संचारण त्वचा की स्वच्छता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
स्वस्थ त्वचा के लिए टिप्स:
पर्याप्त नींद लेना: अच्छी नींद लेने से त्वचा की स्वच्छता और डिटॉक्स प्रक्रम को बेहतर बनाया जा सकता है।
संतुलित आहार: विटामिन, मिनरल, और एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करके त्वचा के स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है।
हाइड्रेशन: दिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से त्वचा के डिटॉक्स प्रक्रम को सहायता मिलती है।
व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करने से रक्त संचारण में सुधार होता है, जो त्वचा के डिटॉक्स प्रक्रम को बेहतर बनाता है।
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, त्वचा शरीर का सबसे बड़ा डिटॉक्स अंग है। स्वेद, सेरेब्रोसाइड निष्पादन, सेबम, और लिम्फ संचारण के माध्यम से यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है। स्वस्थ त्वचा बनाए रखने के लिए, पर्याप्त नींद, संतुलित आहार, हाइड्रेशन, व्यायाम करना महत्वपूर्ण है।

लेखक:-(प्रीतम कुमार सिन्हा, संस्थापक, आयुरयोगा लाइफ इंस्टीट्यूट)