त्याग वही करेगा जिसके अंतरंग में त्याग धर्म होगा – मुनि वैराग्य सागर
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-शांतिसिंधु प्रभावना पावन वर्षायोग के अंतर्गत आज मुनि सुप्रभ सागर व मुनि वैराग्य सागर ससंघ के सानिध्य में दशलक्षण महापर्व के दौरान देवपुरा के शांतिसिंधु सभा मंडपम में मुनि सुप्रभ सागर ने कहा कि परिणामों में संकलेशता आ गई तो त्याग करने के बाद भी त्याग धर्म नहीं लगता है त्याग करने के बाद व्यक्ति के अंदर अहंकार का भाव नहीं आना चाहिए, त्याग धर्म निडर होकर किया जाता है और मजबूत भाव से होता है जीवन में अगर व्यक्ति ने त्याग छोड़ दिया तो जीवन समाप्त हो सकता है वही साधु के लिए तप, ध्यान, और त्याग अत्यावश्यक बताए गए हैं वंही मुनि वैराग्य सागर ने कहा जीवन में पैसा कमाना बड़ी चीज नहीं है पैसा पापी भी कमा लेता है लेकिन त्याग तो वही करेगा जिसके अंतरंग में त्याग धर्म होता है जो मनुष्य पशुओं को बंधन में रखता है उसके जीवन में असाता कर्म का बंध होता है और उसको इसका दुखद परिणाम झेलना पड़ता है
मिडिया प्रभारी नरोत्तम जैन ने बताया शिविर मे कई शिविरार्थीयों के दसलक्षण पर्व की निरंतर निर्जला उपवास की तपस्या चल रही हैं साथ ही कई अन्य तपस्या मे लीन हैं। कोषाध्यक्ष जम्बू धानोत्या, उप संयोजक सुरेश कोटिया, नवीन जैन, तरुण जैन, मंदिर समिति मंत्री ओम प्रकाश ठग, अशोक धनोप्या शिविरार्थी की सेवा मे लगे रहे। बा.ब्र. मनीष भैया, देवेन्द्र जैन एवं जबलपुर की संगीतकार प्राची जैन ने संगीतमय स्वर लहरियों से सभी पूजन एवं धार्मिक क्रियाएं संपन्न करवाई।इससे पूर्व चातुर्मास समिति अध्यक्ष पदम बरमुण्डा, संयोजक कमल कोटिया सहित प्रकाश सबदरा,अमित जैन, विकास जैन ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
*कौन बनेगा धर्म सिरोमणि*
संध्या बेला में सामूहिक महाआरती की गई उसके बाद सम्यक ज्ञान पाठशाला द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रृंखला में कौन बनेगा धर्म सिरोमणि प्रतियोगिता संपन्न करवाई गई।