बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी – भैरू प्रकाश नागर
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-महिला अधिकारिता विभाग, बूंदी द्वारा संकल्प : एचईडब्ल्यू दस दिवसीय जागरूकता अभियान के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय, बूंदी में पोक्सो एक्ट एवं सुरक्षित व असुरक्षित स्पर्श विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के बारे में सहायक निदेशक, महिला अधिकारिता विभाग भैरु प्रकाश नागर ने जानकारी देते हुए कहा कि बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। पोक्सो अधिनियम केवल एक कानूनी प्रावधान नहीं, बल्कि बच्चों के अधिकारों और उनके सम्मान की रक्षा का सशक्त माध्यम है। एक्शन एड एसोसिएशन जिला समन्वयक ज़हीर आलम ने अपने उद्बोधन में बताया कि बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो एक्ट, 2012) एक सख्त और संवेदनशील कानून है, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण, उत्पीड़न और अश्लील सामग्री से सुरक्षा प्रदान करना तथा अपराधियों को कठोर दंड दिलाना है। उन्होंने आगे कहा कि इस कानून के अंतर्गत लैंगिक हमला, गंभीर लैंगिक हमला, यौन उत्पीड़न तथा पोर्नोग्राफी जैसे अपराध शामिल किए गए हैं।
संकल्प: एचईडब्ल्यू जेंडर विशेषज्ञ विनीता अग्रवाल ने बताया कि इस कानून की विशेषताओं में बच्चे की पहचान को गुप्त रखना, लड़का और लड़की दोनों को समान सुरक्षा प्रदान करना, मामलों की शीघ्र सुनवाई हेतु विशेष पोक्सो न्यायालयों की स्थापना तथा बच्चों से पूछताछ के दौरान उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना शामिल है। परामर्शदाता सलोनी शर्मा ने जानकारी दी कि इस अधिनियम के तहत अपराध की गंभीरता के अनुसार तीन वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा और साथ ही जुर्माने का प्रावधान हैं। कार्यक्रम के अंत में विभागीय टीम ने सुरक्षित एवं असुरक्षित स्पर्श की पहचान और उससे बचाव के उपायों पर विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में केंद्रीय विद्यालय के अध्यापक साराम कुमारी गुर्जर, मीरा मीणा, श्रीकांत शर्मा उपस्थित रहे।
संकल्प: एचईडब्ल्यू जेंडर विशेषज्ञ विनीता अग्रवाल ने बताया कि इस कानून की विशेषताओं में बच्चे की पहचान को गुप्त रखना, लड़का और लड़की दोनों को समान सुरक्षा प्रदान करना, मामलों की शीघ्र सुनवाई हेतु विशेष पोक्सो न्यायालयों की स्थापना तथा बच्चों से पूछताछ के दौरान उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना शामिल है। परामर्शदाता सलोनी शर्मा ने जानकारी दी कि इस अधिनियम के तहत अपराध की गंभीरता के अनुसार तीन वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा और साथ ही जुर्माने का प्रावधान हैं। कार्यक्रम के अंत में विभागीय टीम ने सुरक्षित एवं असुरक्षित स्पर्श की पहचान और उससे बचाव के उपायों पर विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में केंद्रीय विद्यालय के अध्यापक साराम कुमारी गुर्जर, मीरा मीणा, श्रीकांत शर्मा उपस्थित रहे।