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संसदीय समितियाँ चर्चा और जवाबदेही का मंच हैं, न कि विरोध और आरोप का : बिरला

मुंबई/नई दिल्ली.Dedk/ @www.rubarunews.com- लोकसभा अध्यक्ष  ओम बिरला ने मुंबई स्थित महाराष्ट्र विधान भवन में संसद और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की प्राक्कलन समितियों के सभापतियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का आयोजन भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में किया गया है।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री बिरला ने कहा कि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और जन-केंद्रित शासन के माध्यम से वित्तीय निगरानी को और अधिक प्रभावी, समावेशी और उत्तरदायी बनाया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक व्यय का मूलमंत्र दक्षता, पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन होना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में प्राक्कलन समिति एक सशक्त निगरानी तंत्र के रूप में विकसित हुई है, जिसने बजटीय अनुमानों की समीक्षा, कार्यान्वयन के मूल्यांकन और शासन सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सचिवालय के पुनर्गठन, रेलवे की परिचालन क्षमता, सार्वजनिक उपक्रमों की समीक्षा और गंगा कायाकल्प जैसे क्षेत्रों में समिति के योगदान की भी सराहना की।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकारों ने समिति की 90-95% सिफारिशों को स्वीकार किया है, जो इसकी प्रभावशीलता को दर्शाता है।

संसदीय समितियों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बिरला ने कहा ये समितियाँ विरोध और आरोप-प्रत्यारोप का मंच नहीं, बल्कि गहन विचार-विमर्श, जवाबदेही और बेहतर शासन का माध्यम हैं। इनका उद्देश्य नीतियों की गहन समीक्षा और निष्पक्ष सिफारिशों के माध्यम से लोकतंत्र को सशक्त बनाना है।

उन्होंने संसदीय कार्यप्रणाली में डिजिटल टूल्स, डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग का समर्थन करते हुए समिति सदस्यों से प्रमाण आधारित निर्णयों और सिफारिशों पर बल देने का आग्रह किया।

बिरला ने राज्य विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के सभापतियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने राज्यों में राजकोषीय अनुशासन और जिम्मेदार व्यय सुनिश्चित करने में नेतृत्व करें। उन्होंने एक संस्थागत संवाद तंत्र विकसित कर संसद और राज्य विधानसभाओं के बीच सहयोग बढ़ाने का भी सुझाव दिया।

सम्मेलन में बिरला ने प्राक्कलन समिति की प्लेटिनम जयंती पर एक स्मारिका का विमोचन भी किया।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार, विधान परिषद अध्यक्ष राम शिंदे, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, राज्यसभा उपसभापति हरिवंश, विपक्ष के नेता अंबादास दानवे और प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

सम्मेलन के दौरान प्रतिनिधि “प्रशासन में दक्षता और मितव्ययिता सुनिश्चित करने हेतु बजट प्राक्कलनों की प्रभावी निगरानी एवं समीक्षा में प्राक्कलन समितियों की भूमिका” विषय पर चर्चा करेंगे।

सम्मेलन का समापन मंगलवार, 24 जून को महाराष्ट्र के राज्यपाल  सी.पी. राधाकृष्णन के विदाई भाषण के साथ होगा।