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केंद्रीय मंत्री ने शहर के अज़ारा में बनने वाले एकीकृत आयुष कल्याण केंद्र के साथ-साथ क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान (आरआरआईएच) के स्थायी परिसर की आधारशिला भी रखी। एकीकृत आयुष कल्याण केंद्र देश में अपनी तरह का पहला केंद्र है।
उल्लेखनीय है कि दो साल से भी कम अर्सा पहले 12 फरवरी, 2022 को श्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी में केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) में क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से दो भवनों – ‘पंचकर्म ब्लॉक’ और ‘फार्माकोलॉजी और बायो केमिस्ट्री प्रयोगशालाओं’ की आधारशिला रखी थी।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, असम, केशब महंत; गुवाहाटी की सांसद (लोकसभा), क्वीन ओजा; विधायक (दिसपुर) अतुल बोरा; विधायक (पश्चिम गुवाहाटी), रामेंद्र नारायण कलिता ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी और केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ क्षेत्र में आयुष को बढ़ावा देने से संबंधित इन बड़ी पहलों के शुभारंभ में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में सिविल सोसायटी की कई प्रमुख हस्तियों, आयुष मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ विद्यार्थी भी शामिल हुए।
सीएआरआई में समर्पित पंचकर्म ब्लॉक लोगों को किफायती दाम पर सर्वोत्तम पंचकर्म उपचार प्रदान करेगा। यहां शोधकर्ता रोगियों का उपचार करने के साथ-साथ लोगों के जीवन की गुणवत्ता को समृद्ध करने में पंचकर्म की भूमिका की भी जांच करेंगे। 9453.30 वर्ग फुट क्षेत्र में निर्मित यह नया भवन पंचकर्म उपचारों का वैज्ञानिक सत्यापन करेगा। पंचकर्म तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने के लिए यहां एक पंचकर्म प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी चलाया जाएगा, ताकि आयुष बाजार के लिए गुणवत्तापूर्ण संसाधन सुनिश्चित हो सकें। यह भवन 7.72 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है और प्रमुख पंचकर्म उपचारों के लिए स्नेहन और स्वेदन कक्ष, शिरोधारा कक्ष, बस्ती कक्ष जैसे समर्पित कक्षों से सुसज्जित है। पंचकर्म में उपयोग होने वाली औषधियां जैसे क्वाथ निर्माण और बस्ती द्रव्य बनाने के लिए एक औषधि प्रयोगशाला भी बनाई गई है। पंचकर्म तकनीशियन पाठ्यक्रम के तहत पंचकर्म तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने के लिए समर्पित कक्षाओं के लिए भी जगह की व्यवस्था की गई है। प्रभावी पंचकर्म उपचार के लिए नई पंचकर्म द्रोणि, बाष्प स्वेदन यंत्र (भाप कक्ष), नाड़ी स्वेदन यंत्र, सर्वांगधारा यंत्र, शिरोधारा यंत्र, बस्ती यंत्र, नास्य एप्लिकेटर, अवगाह टब, सौना कक्ष और अन्य प्रमुख उपकरणों जैसी विभिन्न मशीनें भी स्थापित की जा रही हैं।
पूर्वोत्तर में आयुष क्षेत्र की अपनी तरह की पहली ‘फार्माकोलॉजी और बायोकैमिस्ट्री प्रयोगशालाएं’ आयुर्वेदिक सूत्रीकरण के औषधि मानकीकरण, सुरक्षा और प्रभावकारिता मूल्यांकन की सुविधाओं से सुसज्जित हैं। ये प्रयोगशालाएं शास्त्रीय आयुर्वेदिक सूत्रीकरण, एथनो-औषधीय पौधों और पौधों पर -आधारित सूत्रीकरण की चिकित्सीय और सुरक्षा क्षमता को वैज्ञानिक रूप से मान्य करेंगी। यह विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में पाए जाने वाले आयुर्वेदिक पौधों से किफायती नवीन पॉली हर्बल फॉर्मूलेशन विकसित करने की दिशा में भी कार्य करेंगी। यह भवन 2.71 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है। यह आयुर्वेदिक सूत्रीकरण की सुरक्षा और प्रभावकारिता के लिए पूर्व-नैदानिक अध्ययनों की जांच करने के लिए एक आधुनिक एनिमल हाउस, रोटरी इवेपोरेटर और सॉक्सलेट एक्सट्रैक्टर, ऑटोमेटिक हेमोलॉजी एनालाइजर, बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर, कोऐग्युलेशन एनालाइजर, एनाल्जेसियोमीटर, यूवी-विज़ स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, लेबोरेटरी डीप फ़्रीज़र, प्लेथिस्मोमीटर आदि जैसे परिष्कृत उपकरणों से युक्त एक अत्याधुनिक फार्माकोलॉजी प्रयोगशाला है। केमिस्ट्री प्रयोगशाला आयुर्वेदिक सूत्रीकरण के औषधि मानकीकरण पर काम करेगी और औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी। यह हाई परफार्मेंस थिन लेयर क्रोमैटोग्राफी (एचपीटीएलसी), हाई परफार्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी), गैस क्रोमैटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेट्री (जीसी-एमएस), एक्स-रे डिफ्रेक्टोमीटर (एक्सआरडी) जैसे आधुनिक उपकरणों से युक्त है। 3491.62 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैली नई प्रयोगशाला (जी+2) में कुल 6.42 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं।
क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान (आरआरआईएच) का नया परिसर 18,610 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है। 53.89 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित इस परियोजना के 2026 तक पूर्ण हो जाने की योजना है। नया परिसर 50 बिस्तरों वाली आईपीडी इकाई और विशेष क्लीनिकों के साथ ओपीडी सेवाओं से सुसज्जित होगा। अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त क्लिनिकल प्रयोगशालाएं, आपातकालीन इकाई के साथ-साथ छोटे ऑपरेशन थिएटर भी नए परिसर का अंग होंगे।
भारत के प्रथम एकीकृत आयुष कल्याण केंद्र में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी में उपचार और ओपीडी सुविधाएं होंगी। यह केंद्र लोगों के लाभ के लिए पंचकर्म, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा भी प्रदान करेगा। केंद्र में एक हर्बल गार्डन भी बनाया जाएगा।
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