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सच्चे सुख की प्राप्ति पुरुषार्थ से: मुनि सुप्रभ सागर महाराज

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- संभवनाथ दिगम्बर जैन मंदिर देवपुरा बूंदी में शांति सिंधु प्रभावना पावन वर्षा योग कर रहे मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने बुधवार को सम्यक दर्शन के विचिकित्सा यानी कि ग्लानि पर चर्चा करते हुए कहा कि किसी जीव के सडे़ गले शरीर या मलीन शरीर को देखकर ग्लानि का भाव आ जाए तो समझ लेना वह व्यक्ति सम्यक दृष्टि नहीं हो सकता। धर्म गुरुओं ने कहा कि ज्ञान हो जाने के बाद भी क्रियाओं को लेकर ग्लानि का भाव आ जाए तो समझ लेना चाहिए की वह सम्यक दृष्टि नहीं है।
उन्होंने धर्मसभा में कहा कि पुरुषार्थ करने वाला व्यक्ति सभी सुख को प्राप्त कर लेता है बाह्य वस्तुओं से सुख की प्राप्ति होना संभव नहीं है। सच्चे सुख की प्राप्ति मन की शांति से ही मिलती है। संसार के दुखों से भयभीत होने वाला व्यक्ति संसार को छोड़ने का पुरुषार्थ करने लगता है। आचार्यों ने कहा कि सांसारिक सुख तो सब चाहते हैं पर सुख के मार्ग पर चलना कोई नहीं चाहता। सुख को प्राप्त करने की पहली सीढ़ी रत्नत्रय की प्रथम सोपान पर चलकर ही प्राप्त होगी।
मुनि वैराग्य सागर महाराज ने धर्मसभा में कहा कि मनुष्य को विवेकपूर्ण क्रियाएं करनी चाहिए। किसी भी प्रकार की क्रियाओं को प्रसन्नता पूर्वक करने से मनुष्य के जीवन में थकान नहीं होती। विवेक से जीने वाला व्यक्ति हमेशा प्रसन्न रहता है।
धर्मसभा में मंगलाचरण कमलेश कोटिया ने किया। दीप प्रज्वलन नरेन्द्र कुमार कोटिया, हुकमचंद कोटिया, सीए रोहित बरमुण्डा, संतकुमार धानोत्या ने किया। शास्त्र दान विनीता धानोत्या, सीमा धानोत्या ने संचालन ओम प्रकाश ठग ने किया।