मन्नत पूरी करने खैरवाड़ा से बूंदी गणेश जी के मंदिर पहुंचा गरासिया परिवार

हिंदू होने के बाद भी कब्रिस्तान में दफना दिया था
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के उदयपुर जिले के खैरवाड़ा क्षेत्र के गोड़वा गांव निवासी हितेंद्र गरासिया गरासिया की जुलाई 2021 में रूस में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गयी थी। इसके बाद रूस की सरकार और भारत सरकार ने दिवंगत देह को वापस परिवार के पास भारत भेजने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं हिंदू धर्म के अनुयायी होने के बावजूद हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को रूस के मॉस्को कब्रिस्तान में दफना दिया गया था।
पिता के सम्मानजनक अंतिम संस्कार के लिये मांगी थी मन्नत
राजस्थान के निवासी भारतीय नागरिक हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को रूस के कब्रिस्तान में दफनाने के बाद पीड़ित परिवार ने विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिए कार्य करने वाले बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा से मदद मांगी थी और गरासिया के 17 वर्षीय पुत्र पीयूष ने उस समय बूंदी के खोजा गेट गणेश जी मंदिर पहुँचकर अपने पिता की दिवंगत देह के सम्मानजनक अंतिम संस्कार के लिये परिवार के पास भारत पहुंचने पर के लिये प्रार्थना करते हुये मन्नत मांगी थी। इस मामले में न्याय के लिये पीड़ित परिवार एआईसीसी सचिव धीरज गुर्जर व कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा के साथ कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से भी मिला था और प्रियंका गांधी ने पीड़ित परिवार की आवाज उठाते हुए प्रधानमंत्री को मार्मिक पत्र लिखा था।
बूंदी के गणेश जी की कृपा से असंभव कार्य संभव हुआ – पीयूष
रूस में मृत भारतीय नागरिक स्व. हितेंद्र गरासिया के पुत्र पीयूष गरासिया ने मंगलवार को बूंदी खोजा गेट गणेश जी मंदिर में पूजा के बाद कहा कि गणेश जी महाराज की कृपा से रूस के मास्को के कब्रिस्तान से उनके पिता की दिवंगत देह के परिवार के पास भारत आने का असंभव कार्य संभव हुआ है। पीयूष ने कहा कि गणेश जी की कृपा से हमें बूंदी के चर्मेश शर्मा मिले और उन्होंने लगातार चार महीने तक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष करते हुये हमारे परिवार की आवाज उठायी और गणेश जी कृपा से मृत्यु के 7 महीने बाद 6 फरवरी 2022 को स्व. हितेंद्र गरासिया की दिवंगत भारत पहुंची और एक पुत्र को अपने पिता के सम्मानजनक अंतिम संस्कार का अधिकार मिल पाया। क्योंकि उससे पहले रूस सरकार और भारत सरकार दोनों ही जवाब दे चुके थे कि उनके पिता की दिवंगत देह को भारत नहीं भेजा जायेगा।