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बड़े बदलाव के लिए सोच और सामर्थ्य की लकीर बड़ी होनी चाहिए – ओम बिरला

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि “अगर हम चाहते हैं कि समाज की दिशा बदले, तो सबसे पहले हमें अपनी सोच और कार्यशैली की लकीर को बड़ा करना होगा। बिरला ने बून्दी और लाखेरी में आयोजित ‘आधार शक्ति संगम’ कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रबुद्धजनों को संबोधित करते हुए यह बात कही। बिरला ने संवाद के दौरान कहा कि सामाजिक सेवा का वास्तविक उद्देश्य केवल उपस्थिति भर दर्ज कराना नहीं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सार्थक बदलाव लाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें स्वयं को निरंतर आत्ममंथन की प्रक्रिया में रखते हुए अपने दृष्टिकोण और नेतृत्व को परिष्कृत करते रहना चाहिए।

जन संवाद हो संकल्प का आधार”
बिरला ने कहा कि एक संवेदनशील समाज की बुनियाद सीधे संवाद पर टिकी होती है। हमें क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति की समस्याओं और अपेक्षाओं को सुनना होगा और उनका समाधान एक जिम्मेदार प्रतिनिधि की तरह प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने कहा कि सच्चा समाजसेवी वही है जो जन-जीवन के सुख-दुख में सहभागी हो, और नेतृत्व ऐसा जो संघर्ष से निखरकर, स्वाभिमान से भरा हो। छोटे सोच वाले लोग कभी बड़ी भूमिका नहीं निभा सकते।

हर जरूरतमंद को मिले योजना का लाभ
बिरला ने सामाजिक कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे सरकार की योजनाओं को सूचना से आगे क्रियान्वयन तक पहुँचाएँ। उन्होंने कहा कि “हमें यह सुनिश्चित करना है कि कोई बच्चा शिक्षा से, कोई मरीज इलाज से, और कोई परिवार बुनियादी सुविधा से वंचित न रहे। योजना की सफलता उसकी पहुंच में है, प्रचार में नहीं।

चौपाल से निकले विकास की दिशा
बिरला ने कहा कि विकास योजनाएँ ऊपर से नहीं, जड़ों से उपजनी चाहिए। गाँवों में संवाद की संस्कृति को पुनर्जीवित करते हुए चौपालों के माध्यम से स्थानीय समस्याओं की सूची बनाई जानी चाहिए, ताकि विकास की प्राथमिकताएं ज़मीन से तय हों और क्रियान्वयन में पारदर्शिता आए। इस दौरान पूर्व मंत्री बाबूलाल वर्मा, पूर्व विधायक अशोक डोगरा, चन्द्रकान्ता मेघवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष रामेश्वर मीणा ने भी संबोधित किया। पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, कालूलाल जांगीड़, भंवरलाल शर्मा, सभापति सरोज अग्रवाल, प्रधान राजेश रायपुरिया, कुंजबिहारी बिलिया आदि मौजूद रहे।