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दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद में किसानों को मिली आधुनिक कृषि तकनीकों की विस्तृत जानकारी

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- कृषि विज्ञान केन्द्र बूंदी पर कार्यालय उपनिदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक (आत्मा), बूंदी के सहयोग से दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद का आयोजन किया गया। यह संवाद कार्यक्रम किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, खेत स्तर की समस्याओं का समाधान करने तथा आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक स्तर पर पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. महेश चौधरी ने कहा कि आज का युग तकनीक आधारित कृषि का है, जहाँ किसानों को फसल विविधीकरण, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, उन्नत, किस्में, समन्वित पोषण एवं कीट प्रबंधन जैसे बहुआयामी पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि ऐसे संवाद कार्यक्रम किसानों एवं वैज्ञानिकों के बीच ज्ञान के आदान प्रदान का मजबूत माध्यम बनते हैं। इस दौरान क्षेत्र की जलवायु के अनुरूप फल, सब्जी एवं मसाला फसलों की उच्च उत्पादक एवं रोग रोधी किस्मों का परिचय भी कराया।
कौशल कुमार सोमानी, उपनिदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक (आत्मा) ने जिले के नवाचारी कृषकों के नवाचार साझा करते हुये इनको अधिक से अधिक कृषकों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया व संचार के अन्य माध्यमों से इनका प्रचार-प्रसार का सुझाव दिया। इस दौरान उप निदेशक ने दलहन व तिलहन फसलों में राइजोबियम कल्चर, पीएसबी जैव उर्वरक और समन्वित कीट प्रबंधन अपनाने का सुझाव दिया। मृदा वैज्ञानिक डॉ. सेवाराम रुंडला ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड, जैविक एवं हरित खादों के उपयोग, सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्व तथा संतुलित उर्वरक प्रबंधन के विषय में जागरूक किया उन्होंने कहा कि बिना मृदा परीक्षण के अंधाधुंध उर्वरकों का उपयोग मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करता है। मिट्टी की संरचना सुधारने के लिए कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, फसल अवशेष प्रबंधन व दलहनी फसलों को शामिल करना अत्यंत आवश्यक है। सुरेश कुमार मीणा, सहायक निदेशक आत्मा ने कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की प्रमुख योजनाओं राष्ट्रीय बागवानी मिशन, संरक्षित खेती एवं फल बाग विकास के बारे में जानकारी दी।
तकनीकी सहायक महेन्द्र चौधरी ने कृषकों को केन्द्र पर स्थित विभिन्न ईकाइयों जिसमें वर्मी कम्पोस्ट, अजोला, पौधशाला, बकरी पालन, गाय पालन, गृह वाटिका, प्राकृतिक खेती के साथ ही बीज विधायन केन्द्र का भ्रमण करवाया व विभिन्न खाद्यान्न एवं दलहनी फसलों की नवीनतम किस्मों की जानकारी साझा की। संवाद सत्र में किसानों ने फलदार पौधों, फूलों की खेती, फसल रोग, कीट प्रकोप, सिंचाई समस्या. जल संरक्षण, पशु रोगों तथा उर्वरक उपलब्धता से जुड़ी अपनी वास्तविक समस्याएँ रखी। वैज्ञानिकों ने प्रत्येक प्रश्न का तथ्यों, तकनीक, स्थानीय परिस्थितियों एवं सफल उदाहरणों के साथ समाधान प्रस्तुत किया। इस दौरान केन्द्र के कर्मचारी लोकेश प्रजापत, दीपक कुमार, रामप्रसाद भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में जिले के विभिन्न गाँवों से आये हुए 25 प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया।