परमात्मा से जुड़ाव ही सच्ची भक्ति का आधार – संत गुरमुख दास
बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-भक्ति वह अवस्था है, जो जीवन को दिव्यता और आनंद से भर देती है। यह न इच्छाओं का सौदा है, न स्वार्थ का माध्यम। सच्ची भक्ति का अर्थ है परमात्मा से गहरा जुड़ाव और निःस्वार्थ प्रेम। ‘भक्ति पर्व समागम’ के अवसर पर यह प्रेरणादायक विचार व्यक्त करते हुए संत गुरमुख दास सतगुरु माता जी की शिक्षाओं द्वारा भक्ति की महिमा का उल्लेख किया और कहा कि ब्रह्मज्ञान भक्ति का आधार है, जो जीवन को उत्सव बना देता है। संत ने राजमाता जी के जीवन को भक्ति और समर्पण का प्रतीक बताते हुए कहा कि इन विभूतियों का जीवन भक्ति और सेवा का श्रेष्ठ उदाहरण है। इस अवसर पर परम संत संतोख सिंह जी के अतिरिक्त अन्य संतों के तप, त्याग और ब्रह्मज्ञान के प्रचार-प्रसार में उनके अमूल्य योगदान को स्मरण किया गया और उनके जीवन से प्रेरणा ली गईं।
महेश चांदवानी ने बताया निरंकारी मिशन का मूल सिद्धांत यही है कि भक्ति परमात्मा के तत्व को जानकर ही सार्थक रूप ले सकती है सतगुरु माता जी के अमूल्य प्रवचनों ने श्रद्धालुओं के जीवन में ब्रह्म ज्ञान द्वारा भक्ति का वास्तविक महत्व समझने और उसे अपनाने की प्रेरणा दी। इस दिव्य संत समागम में कोटा, हिंडोली, रानीपुरा, नैनवां नमाना सहित संपूर्ण जिले स श्रद्धालु सम्मिलित हुए और सभी ने सत्संग के माध्यम से आध्यात्मिक आनंद की दिव्य अनुभूति प्राप्त की।