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निरंकारी मिशन की उप-प्रधान राज वासदेव जी* *निरंकार प्रभु में ब्रह्मलीन

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- एक पवित्र संत जिन्होंने छह पातशाहियों के मार्गदर्शन में अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत किया। सभी की प्रिय, मिशन की अनेक ऐतिहासिक एवं प्रेरणादायक पुस्तकों की लेखिका जिनका जीवन निरंकारी मिशन के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय बना हुआ है। 12 सितम्बर की देर रात्रि को निरंकार प्रभु द्वारा प्रदत्त स्वांसों को पूर्ण कर गुरु चरणों में तोड़ निभाते हुए निरंकारमय हो गईं।

राज वासदेव जी ने मिशन के प्रचार-प्रसार को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। वे चाहती थीं कि मिशन का हर बच्चा एक प्रचारक बने, और इसी उद्देश्य से उन्होंने देश-विदेश के अनेक स्थानों पर जाकर सत्संग, प्रचार और आध्यात्मिक जागरूकता का कार्य किया। 1990 से उन्होंने मिशन की पत्रिकाओं और प्रकाशनों में नियमित रूप से योगदान देना शुरू किया। उनके लेखन की शैली सरल, गहन और हृदयस्पर्शी थी, जो पाठकों को मिशन की शिक्षाओं से जोड़ देती थी। वे हर सेवा को अपना सौभाग्य मानकर निभाती थीं। उनका जीवन न केवल एक साधिका का जीवन था, बल्कि मिशन की आत्मा से जुड़े एक ऐसे तपस्विनी व्यक्तित्व की कहानी है, जो युगों तक स्मरणीय रहेगा।

महेश चांदवानी ने बताया उनकी अंतिम यात्रा 13 सितम्बर को दोपहर 4:00 बजे निरंकारी कॉलोनी, दिल्ली से आरंभ होकर, सायं 4:30 बजे निगम बोध घाट पर सम्पन्न हुई।

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के आशीर्वाद से, निरंकारी राजपिता रमित जी की अध्यक्षता में श्रीमती राज वासदेव जी के प्रेरणादायी जीवन को समर्पित ‘प्रेरणा दिवस’ का आयोजन 14 सितम्बर 2025 को, ग्राउंड नंबर 8, बुराड़ी रोड, दिल्ली में दोपहर 3:00 बजे से सायं 5:30 बजे तक किया गया। इस अवसर पर बूंदी ब्रांच से बड़ी संख्या में मिशन के संतजनो ने उनके प्रेरणादायी जीवन से सीख लेकर, श्रद्धा सुमन अर्पित करी।