जैव विविधता संरक्षण और वन सुरक्षा के लिए जागरूकता कार्यक्रम हुआ आयोजित
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के उपलक्ष्य में और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से राजस्थान फॉरेस्ट्री एंड बायोडायवर्सिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (RFBDP) द्वारा केंद्रीय संचार ब्यूरो, प्रेस सूचना कार्यालय, जयपुर के सहयोग से बूंदी जिले के खटकड़ गांव में एक जागरूकता कार्यक्रम – नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक ग्रामीणों ने भाग लिया, जिनमें महिलाएं, बच्चे और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के सदस्य शामिल थे।
RFBDP, राजस्थान वन विभाग की एक पहल है, जिसे Agence Française de Développement (AFD) द्वारा वित्त पोषित किया गया है। यह परियोजना पूर्वी राजस्थान के 13 चयनित जिलों में लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक वनों का संरक्षण व विकास, संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण, शुष्क घासभूमियों की पुनर्स्थापना और सामुदायिक भागीदारी व बेहतर शासन के माध्यम से सतत वन प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
श्रीमती टी. जे. काविथा, IFS, परियोजना निदेशक, RFBDP ने कहा कि “हमारा लक्ष्य है कि लोग अपने आस-पास के वनों को अपनी धरोहर मानें और उनके संरक्षक बनें। ऐसे नुक्कड़ नाटक लोक भाषा और संस्कृति के माध्यम से लोगों को प्रकृति और परियोजना के उद्देश्य से जोड़ते हैं।”
RFBDP की सोच साफ है: जलवायु परिवर्तन से लड़ना, पारिस्थितिक तंत्रों का पुनरुद्धार करना, और राजस्थान की अनोखी जैव विविधता की रक्षा करना। नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने, वन संरक्षण बढ़ाने और महिलाओं को सशक्त बनाने जैसे संदेश सरल और प्रभावशाली ढंग से लोगों तक पहुँचाए गए।
इन कार्यक्रमों में बताया गया कि वन्यजीव हमारे दुश्मन नहीं हैं, बल्कि वे भयभीत प्राणी हैं जो अपने आवास खत्म होने के कारण गाँवों की ओर आ जाते हैं। ऐसे मामलों में वन विभाग को तुरंत सूचना देना समाधान है, न कि प्रतिक्रिया स्वरूप हिंसा।
ग्रामीणों को जैव-रक्षा बाड़ (bio fencing), वन गलियारों की सुरक्षा, और पौध आरक्षित क्षेत्र (Plant Micro Reserves) जैसे उपायों की जानकारी दी गई। साथ ही, ओरन (पवित्र वन), जल संरक्षण और पारंपरिक वन प्रथाओं के पुनर्जीवन के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया।
इन नुक्कड़ नाटकों ने यह भी दिखाया कि कैसे स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं स्वच्छ ऊर्जा, पर्यावरण-अनुकूल आजीविका और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। नाटकों ने संवेदनशीलता, सामूहिक जिम्मेदारी और व्यावहारिक पहल की भावना को जगाया।
DCF श्री अरविंद झा ने बताया की RFBDP का उद्देश्य है कि संरक्षण केवल नीति तक सीमित न रहें, बल्कि यह ग्रामीण जीवन का हिस्सा बनें, खासकर उन लोगों के लिए जो प्रत्यक्ष रूप से वनों पर निर्भर हैं।
आरएफ़बीडीपी की जयपुर टीम से श्री जॉय दासगुप्ता, श्री अभिषेक भटनागर व सुश्री बिन्नी मेहता ने भी इस जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया और परियोजना के उद्देश्यो के बारे में उचित जानकारी दी ।
परियोजना सभी ग्रामीणों से अपील करती है कि वे जैव विविधता के संरक्षण में सक्रिय भाग लें और अपने क्षेत्र में वन आवरण बढ़ाने में सहयोग करें। सामूहिक भागीदारी, जागरूकता और निरंतर स्थानीय प्रयासों से एक हरित और अधिक सक्षम राजस्थान का सपना साकार हो सकता है।