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ऐसी दुर्लभ बीमारी की एम्स के डाॅक्टर्स को भी करने पड़े कई प्रयोग

कोटा.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> बेटी बाहर निकलती थी तो नाखून देख लोग उस मासूम को ताने देते थे। स्कूल में उसकी सहेलियां ही ऐसे शब्द से पुकारती थीं जिसे सुन दिल दहल जाए। नाखूनों के कारण वह न पेन पकड़ पाती थी न कोई काम कर पाती थी। विकलांग प्रमाण बनवाने के लिए मदद मांगने स्पीकर ओम बिरला से मिले। उन्होंने कहा कि बेटी का इलाज करवा दूं। दो साल एम्स में इलाज चला और आज बेटी ठीक होने की ओर बढ़ रही है। यह कहानी है नयापुरा निवासी मनीष कुमार और नूतन की बेटी मनीषा की।

मनीषा अभी 13 साल की है, लेकिन बीमारी उसके जन्म के साथ ही दिखाई देने लगी थी। पैदा हुई तो हाथ और पांव की अंगुलिया के नाखून आधे लाल थे। तीन माह बाद नाखून, काले और सख्त हो हो गए। नेल कटर से काटने की कोशिश की तो बात नहीं बनी। कोटा में डाॅक्टरों को दिखाया तो उन्हें समस्या समझ नहीं आई। जो दवाएं लिखीं, उससे फफोले पड़ गए।

चार साल की उम्र में मनीषा को अहमदाबाद दिखाया। वहां कई साल इलाज चला लेकिन लाभ नहीं हुआ। पैसे की दिक्कत हुई तो अहमदाबाद जाना बंद करना पड़ा। इस बीच बेटी स्कूल जाने लगी तो वहां कोई उससे दोस्ती नहीं करता। उसे गलत शब्द कहकर पुकारा जाता। छोटी सी बच्ची के मन को धक्का तो बहुत लगता लेकिन वह कुछ नहीं कर पाती।

उम्र बढ़ी तो नाखूनों के कारण उसके लिए पेन पकड़ने से लेकर अन्य छोटे काम करना भी कठिन हो गया। किसी की सलाह पर वे मनीषा को लेकर मई 2022 में स्पीकर बिरला से मिले ताकि बेटी का दिव्यांग पत्र बन जाए जिससे उपचार में सहायता मिल जाए। मनीषा को देखते ही बिरला ने कहा बेटी दिव्यांग नहीं है। इसका उपचार करवाएंगे।

दो साल के प्रयासों के बाद मनीषा की स्थिति अब ठीक है। वह गुरूवार को स्पीकर बिरला से मिलने लोक सभा कैंप कार्यालय आई और आभार जताया। स्पीकर बिरला ने कहा कि वे चिंता नहीं करें, इलाज पूरा होने तक उनकी हर संभव मदद की जाएगी।

दो साल में 15 से ज्यादा आॅपरेशन

स्पीकर बिरला के निर्देश पर उनके कार्यालय ने मनीषा के उपचार की व्यवस्था में दिल्ली एम्स में करवाई। एम्स के चिकित्सकों ने भी इस केस को प्रयोग के तौर पर लिया। सबसे पहले दाहिने हाथ की सबसे छोटी अंगुली का आॅपरेशन किया गया। वह आॅपरेशन सफल रहा और नाखून फिर से नहीं उगा। ऐसे में अन्य अंगुलियों के आॅपरेशन किए गए। लेकिन कई अंगुलियों में फिर समस्या आ गई। ऐसे में कुछ अंगुलियों के आॅपरेशन दो से तीन बार किए गए।

आरी और मशीन से भी नहीं कटते थे नाखून

शरीर में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन अधिक मात्रा में बनने के कारण मनीषा के नाखून काले और सख्त हो जाते थे। यह इतने सख्त होते थे कि मां से आरी से भी काटे नहीं कटते थे। दिल्ली एम्स में डाॅक्टरों ने मशीन से नाखून काटने का प्रयास किया। एक अंगुली का नाखून तो थोड़ा से कट गया। लेकिन दूसरे में दर्द के कारण मनीषा का बुरा हाल हो गया।