राजस्थान

12 वीं क्लास की छात्रा साक्षी बनी 5 मिनट के लिए एसपी

बून्‍दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com  – जिले की 16 साल की साक्षी के लिए यह ताउम्र नहीं भुला पाने वाला सम्मान और अनुभव था। सरकारी स्कूल में 12 वीं में पढ़ने वाली साक्षी को बाल दिवस पर एसपी की कुर्सी पर बैठकर फरियादियों की पीड़ा सुनने का मौका मिला। एसपी और बाकी पुलिस अधिकारी उसके सम्मान में खड़े रहे और साक्षी ने फरियादी की किसी एसपी की तरह ही पीड़ा सुनी और संबंधित थानाधिकारी को उचित कार्रवाई के निर्देश भी दिए। 5 मिनट के इस रोमांचक अनुभव और मोटिवेशन ने साक्षी को उसकी जिंदगी का लक्ष्य तय करने का हौसला दे दिया।

बूंदी के महारानी गोरमेंट गर्ल्स स्कूल की 12 वीं की छात्रा साक्षी नरूका इस सम्मान और मोटिवेशन से इतना भावुक हो गई कि आंखे छलक पड़ीं। बोली- इतना अच्छा लगा कि बता नहीं पा रही, मुझमें बहुत ज्यादा कॉन्फिडेंस भर गया है। ठान लिया है कि मैं भी पुलिस अफसर बनूंगी और लोगों की तकलीफ दूर करूंगी। बाल दिवस पर युवा एसपी जय यादव ने नवाचार किया, स्कूली बच्चें-बच्चियों को एसपी ऑफिस और जिलेभर के पुलिस थानों में बुलाकर उन्हें पुलिस के कामकाज का तरीका बताया। बच्चों के मन से पुलिस का भय निकालकर यह बताया कि पुलिस उनकी दोस्त है। अत्याचार के खिलाफ बच्चों में आवाज उठाने का कॉन्फिडेंस पैदा करने के साथ ही उन्हें पुलिस सेवा में जाने का मोटिवेशन देने का भी यह छोटा-सा मगर बड़ा प्रयास था। शहर के महारानी गर्ल्स सी.सै. स्कूल की 9वीं से 12वीं तक की यह छात्राएं एसपी ऑफिस में अपने सामने एसपी, एएसपी, डीएसपी जैसे पुलिस अधिकारियों को देखकर शुरू में थोड़ी घबरा रही थीं, खुलकर बोलने में हिचक रही थीं। पर जब एसपी ने कहा कि पुलिस कोई दूसरी दुनिया से नहीं आती है, आपके बीच से ही निकली है। आपकी तरह ही पुलिसवाले स्कूलों में पढ़े हैं। बातचीत से बच्चियों में कॉन्फिडेंस बढ़ा।

उन्होंने एसपी से ही पूछ लिया कि एसपी कैसे बना जाता है? एसपी ऑफिस के हर सेक्शन में काम करने का तरीका जाना और सवाल-जवाब किए। एक बच्ची ने यह भी पूछ लिया कि समय पर सुनवाई क्यों नहीं होती? वह 17 साल की है, तबसे दादाजी काे केस लड़ते ही देख रही हूं। एसपी ने बच्चियों को पुलिस वर्दी के मायने, उसकी जिम्मेदारियों, भर्ती के लिए जरूरी योग्यताओं, फिटनेस, साइबर क्राइम, शिकायत पर सुनवाई की प्रक्रिया, पुलिस के सहयोग, बच्चे, महिलाओं के कानूनों, कानून के सम्मान, ट्रेनिंग, इंटरव्यू, अपने खिलाफ अत्याचार पर आवाज उठाने सहित कई तरह की जानकारी दी।

एसपी की बच्चों को सीख सोशल मीडिया का इस्तेमाल बहुत ध्यान से करें। अनजान की फ्रेंड्स रिक्वेस्ट स्वीकार ना करें। पिता, भाई को हेलमेट पहनने को कहें, बच्चों या अच्छे लोगों को पुलिस से डरने की जरूरत नहीं, फिटनेस बहुत जरूरी चीज है। दुनिया के बारे में जानने की जिज्ञासा रखें, ज्यादा से ज्यादा सवाल-जवाब करें, इसलिए अखबार जरूर पढ़ें। असफलता मिलने पर हौसला बनाए रखें। मेरा भी तीसरे प्रयास में आईपीएस में सलेक्शन हुआ है। अपने या किसी के साथ, कहीं भी गलत दिखते तो पुलिस को जरूर बताएं।

बच्चे देश का भविष्य होते हैं। वे अच्छे नागरिक बनें। उनका कान्फिडेंस बढ़े। वह जाने कि पुलिस कैसे काम करती है, पुलिस को मददगार समझें, कानून का सम्मान करना सीखें। इसी मकसद से बाल दिवस पर पुलिस का यह प्रयास है। जय यादव, एसपी, बूंदी।