होगा भिण्ड का समाकेतिक विकास, भिण्ड नगर पालिका होगी अब नगर निगम
भोपाल। एक शहर अन्य मानव बस्तियों से अपने अपेक्षाकृत बड़े आकार के कारण भिन्न होता है। शहर अकेले आकार से ही अलग नहीं है, बल्कि यह एक बड़े राजनीतिक संदर्भ में भूमिका निभाता है। शहर अपने आसपास के क्षेत्रों के लिए प्रशासनिक, वाणिज्यिक, धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में सेवा देता है। एक विशिष्ट शहर में पेशेवर प्रशासक, नियम-कायदे होते हैं और सरकार के कर्मचारियों को खिलाने के लिए कराधान भी। मध्यप्रदेश की भिण्ड नगर पालिका को नगर पालिका निगम में परिवर्तित करने की विधायक संजीव सिंह कुशवाह की पहल भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है।
नगर मिगम की पहली सीढ़ी पर
समग्र और समाकेतिक विकास के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति को सीधा लाभ देने वाली प्रभावी नीति के तहत भिण्ड नगर पालिका ने नगर निगम बनाए जाने की पहली सीढ़ी पार कर ली है। क्षेत्रीय विधायक संजीव सिंह कुशवाह की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भिण्ड नगर पालिका को नगर पालिका निगम बनाए जाने की सहमति दे दी है। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद अब औपाचारिक रुप से भिण्ड नगर पालिक को नगर पालिक निगम में परिवर्तित किए जाने की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी।
इच्छाशक्ति का अभाव
उल्लेखनीय है कि पिछले दो दशक से भिण्ड नगर पालिका को नगर पालिक निगम का दर्जा दिए जाने की मांग की जाती रही है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव और राजनीतिक दांव-पेंच के कारण यह मामला अधर में ही लटका रहा । अब भिण्ड विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने इस सम्बन्ध में प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की पहल की है। उनकी अनुशंसा पर भिण्ड नगर पालिका को नगर पालिक निगम बनाए जाने हेतु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सहमति दे दी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर नगरीय प्रशासन विभाग भिण्ड नगर पालिका का उन्नयन नगर निगम में करने हेतु सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी करेगा। जिसके बाद इसके विधिवत गठन की अधिसूचना जारी की जाएगी।
नगर निगम के लिए चाहिए 3 लाख आबादी
यहां बताना जरुरी है कि भिण्ड शहर की आबादी पिछले कुछ सालों में बढ़कर लगभग 2 लाख 50 हजार पर पहुंच गई है। जिसके चलते इसे नगर निगम बनाएं जाने की प्रक्रिया चालू की गई है। किसी नगर पालिका को नगर निगम में परिवर्तित करने के लिए उस क्षेत्र की आबादी तीन लाख होना चाहिए। जिसके लिए भिण्ड शहर के आसपास के छोटे-छोटे गांवों को नगरीय क्षेत्र में शामिल किया जाएगा। साल 2011 की जन गणना के मुताबिक अभी भिण्ड शहर की आबादी एक लाख 97 हजार 585 है। जबकि पिछले 10 साल में इसका आंकड़ा बढ़कर दो लाख 50 हजार पार कर चुका है। नगर निगम का दर्जा मिलने के लिए इसमें लगभग 50 की आबादी को शामिल किये जाने की आवश्यकता है। जिसके लिए इन गांवों को शामिल किए जाने की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी । जिनकी कुल आबादी 80 हजार से अधिक है।
ये गांव होंगे शामिल
भिण्ड नगर पालिका को नगर पालिक निगम का दर्जा मिलने पर इसमें रतनूपुरा, मिहोनी, मुड़ियाखेड़ा, धरई, चाथर, मानपुरा, जामना, मंगदपुरा, कीरतपुरा, दबोहा, खादर गउघाट, जामपुरा, अतरसूमां, रछेड़ी, दीनपुरा, कल्यानपुरा रेंवजा, बिरधनपुरा, उदोतपुरा, बक्सीपुरा, कुरथरा, रतनूपुरा, लक्ष्मीपुरा, डिड़ी खुर्द, सिमराव, कुम्हरौआ, बाराकलां, सालिमपुर, भटमासपुरा, पुर, चन्दूपुरा, चन्द्रापुरा, नालीपुरा, जवासा और नुन्हाटा सहित अन्य गांव नगरीय सीमा में शामिल हो जाएंगे। जिसके उपरांत भिण्ड शहरीय क्षेत्र की कुल आबादी तीन लाख का आंकड़ा पार कर जाएगी।
क्यों पड़ी नगर निगम बनाने की जरुरत
भिण्ड नगर पालिका का गठन साल 1896 में हुआ था। तब से अब तक राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक और व्यावसायिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं। नगर पालिका क्षेत्र से सटे गांव और शहरी क्षेत्र सीमाओं का आकार निरंतर बढ़ने से गांव की आबादी का दबाव नगर पालिका के संसाधनों पर पड़ने लगा है। शहर की सीमा से सटे गांव मुड़िाखेड़ा, धरई, मापपुरा, दबोहा, दीनपुरा, विरधनपुरा, उदोतपुरा जो एक समय स्वयं पृथक-पृथक ग्राम पंचायत हुआ करते थेए आज नगरीय सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। जिसके चलते यहां की जनसुविधाओं और समस्याओं के निराकरण का भार भी नगर पालिका ही उठा रही है। हालात यह बन गए हैं कि इन गांव के लोगों को शहरी क्षेत्र से जुड़ने के कारण पंचायत का लाभ नही मिल पा रहा और नगर पालिका में इन गांवों का औपचारिक संविलियन न होने से नगर पालिका भी इन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में असहाय है। इसके पीछे की वजह नगर पालिका के पास सीमित आर्थिक संस्थान होना माना जा रहा है। इसीलिए भिण्ड नगर पालिका को न्रर निगम में उन्नयन करने के लिए विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने प्रस्ताव तैयार कराकर मुख्यमंत्री को सौंपा। जिसे मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति के साथ नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग को औपचारिक प्रक्रिया के लिए भेज दिया है