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मामला रीवा कलेक्टर न्यायालय में प्रचलित कैथा पंचायत की 25 लाख रु की वसूली और धारा 40-92 की कार्यवाही का 

जांच में बननी थी एक करोड़ से अधिक की रिकवरी लेकिन बनी मात्र 25 लाख – शिवानन्द द्विवेदी

 

सौंपा गया  शिवानन्द द्विवेदी के निर्देशन में कार्यवाही हेतु ज्ञापन

 

रीवा @rubarunews.com>>>>>>  अभी तक आपने सुना होगा कि आम गरीब और पीड़ित जनता शिकायत पर शिकायत करती रहती थी लेकिन पंचायत विभाग एवं संबंधित अधिकारी शिकायत की जांच नहीं करते थे। लेकिन कुछ मामले आपको ऐसे भी सुनने को मिलेंगे जिसके बाद आपको ताज्जुब होगा? क्या आपने ऐसा सुना है एक सरपंच यह शिकायत करे की अधिकारियों द्वारा जांच ही सही तरीके से नहीं की गई? और वह भी ऐसे अधिकारियों के ऊपर जो स्वयं कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री और कई एसडीओ की टीम हो।

 

हम बात कर रहे हैं रीवा जिले के गंगेव जनपद अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत कैथा की जहां पर दो कार्यपालन यंत्री के स्तर पर की गई जांच में लगभग 25 लाख रुपए की रिकवरी बनाई गई थी जिसके बाद अभी हालिया तौर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत स्वप्निल वानखेड़े के द्वारा कैथा सचिव अच्छेलाल पटेल को निलंबित कर दिया गया था एवं वशूली अधिरोपित की गयी थी एवं सरपंच के विरुद्ध वसूली और पद से पृथक करने के लिए धारा 40 एवं 92 की नोटिस जारी किया गया था।

 

कलेक्टर रीवा के कोर्ट में चल रहा धारा 40-92 का मामला

मामला कलेक्टर न्यायालय पहुंचा जहां धारा 40 एवं 92 की कार्यवाही चल रही थी इसी दरमियान अपने जवाब में कैथा सरपंच संत कुमार पटेल उर्फ भल्लू के द्वारा अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया और कार्यपालन यंत्री के ऊपर आरोप लगाए गए कि सरपंच अनुपस्थिति में पंचायत के कार्यों की जांच की गई अतः पुनः जांच की जाए। इस पर कलेक्टर ने आवेदन को स्वीकार करते हुए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 1 के कार्यपालन यंत्री श्री आर एस धुर्वे को टीम गठित कर जांच करने के लिए आदेशित किया है।

 

10 नवंबर मंगलवार को एक बार फिर होगी कैथा पंचायत की जांच

 

इस बीच जानकारी के अनुसार कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 1 के कार्यपालन यंत्री आर एस धुर्वे के द्वारा सीईओ जिला पंचायत स्वप्निल वानखेड़े को पत्र लिखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी एवं थाना गढ़ के थाना प्रभारी को पृष्ठ अंकित किया गया है और पुलिस बल के साथ दिनांक 10 नवंबर को होने वाली जांच में उपस्थित रहने के लिए कहा गया।

 

जांच में बननी थी एक करोड़ से अधिक की रिकवरी लेकिन बनी मात्र 25 लाख – शिवानन्द द्विवेदी

 

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी का कहना है उनके द्वारा की गई शिकायत पर सभी बिंदुओं पर यद्यपि जांच पूर्ण नहीं हो पाई थी जिसकी वजह से बनाई गई रिकवरी कम बन पाई है। सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि मनरेगा के कार्यो मिट्टी मोरम, खेत सड़क, मेड बंधान, कूप निर्माण, सुदूर सड़क संपर्क आदि मनरेगा कार्यों के नाम पर लगभग एक करोड़ से अधिक की राशि निकाल ली गई लेकिन सभी कार्य गुणवत्ताविहीन करवाए गए जो मौके पर कहीं नहीं दिखते हैं लेकिन जांचकर्ता अधिकारियों द्वारा कहा गया की मिट्टी मोरम के कार्य के लिए तकनीकी दक्षता उनके पास नहीं है और 2 वर्ष बाद मिट्टी मोरम के कार्य मूल्यांकित नही किये जा सकते जिसकी वजह से ग्रेवल सड़क , मेड बंधान और मिट्टी मोरम के कार्य की जांच नहीं हो पाई थी।

 

घटिया पीसीसी और पुलिया निर्माण को शून्य समझा जाए, हो 100 प्रतिशत रिकवरी – शिवानन्द द्विवेदी

एक्टिविस्ट के द्वारा बताया गया की बनाई गई कुछ पीसीसी सड़क के नाम पर कई बार राशि निकाल ली गई और साथ में गुणवत्ताविहीन कार्य भी करवाया गया जो डस्ट, घटिया सीमेंट, घटिया गिट्टी और घटिया-अनुपातिक सामग्री लगाकर करवाया गया जिसकी वजह से मात्र 1 साल पहले बनी हुई पीसीसी सड़क उखड़ चुकी है और कई दरारें आ चुकी है। आवेदक ने बताया कि कल्वर्ट पुलिया में भी अच्छी धांधली की गई है और सभी कार्य सिरे से खारिज करने योग्य थे लेकिन फिर भी उनका मूल्यांकन कर उन्हें बना हुआ दर्शा दिया गया। यद्यपि देखा जाए तो कल्वर्ट पुलिया निर्माण और पीसीसी सड़क निर्माण में गुणवत्तायुक्त नदी के रेत का टीएस बनाया गया था और रेत के बिल लगाए गए थे लेकिन काम पूर्णतया डस्ट से करवाया गया। कांक्रीट में 20 एमएम एवं 40 एमएम की गिट्टी के स्थान पर पुराने पंचायत भवन से निकाले गए पत्थर और पटिया से उनके निर्माण करवा दिए गए।

 

इसी प्रकार वृक्षारोपण, पशु शेड, सफाई अभियान, शौचालय निर्माण, पीएम आवास आदि में भी फर्जीवाड़ा किया गया है जिसकी जांच यदि सही ढंग से कर दी जाए तो लगभग एक करोड़ से अधिक की पंचायती भ्रष्टाचार की रिकवरी बन जाएगी।

जनता के टैक्स के पैसे का किया गया बन्दरवाट

 

एक्टिविस्ट द्विवेदी ने अधिकारियों से तकनीकी दृष्टि से सुसज्जित एवं स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच किए जाने की मांग की है जिससे भ्रष्टाचारी सरपंच, सचिव, उपयंत्र, सहायक यंत्री और संबंधित अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सके और जनता के विकास के लिए पब्लिक के टैक्स से दिया जाने वाले पैसे का समुचित उपयोग कर ग्रामीण विकास कार्य को नई दिशा दी जा सके।

 

फर्जी बिल बाउचर बनाने वाले वेंडर्स ट्रेडर्स के विरुद्ध सेल्सटैक्स-इनकम टैक्स विभाग की हो कार्यवाही- शिवानन्द द्विवेदी

 

एक्टिविस्ट ने बताया की पंचायतों में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिस पर उच्चाधिकारियों को ध्यान देकर सही मूल्यांकन कराए जाने की आवश्यकता है और कुकुरमुत्तों की तरह बने हुए वेंडर्स और ट्रेडर्स जो कि मात्र कागजों तक सीमित हैं और जिनकी वजह से फर्जी बिल वाउचर संबंधित ग्राम पंचायतों के सरपंचों को कमीशन लेकर जारी किया जा रहा है ऐसे फर्जी वेंडर्स एवं ट्रेडर्स के विरुद्ध सेल्स टैक्स एवं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के माध्यम से जीएसटी की भी जांच करवाई जाए तथा फर्जी बिल बाउचर बनाने वाले ऐसे वेंडर ट्रेडर्स को तत्काल ब्लॉक किया जाए तथा 420 की कार्यवाही करते हुए जेल भेजा जाए।