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भारतीय साहित्य सदन की नियमित पाक्षिक काव्य गोष्ठी आयोजित

भिण्डrubarudesk /@www.rubarunews.com >> भारतीय साहित्य सदन के नियमित पाक्षिक काव्य गोष्ठी रविवार को मन्दिर भिण्डी ऋषि में कवि पत्रकार आशुतोष शर्मा आशु की अध्यक्षता तथा स्वामी शीतल दासजी महाराज के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुई। संचालन विजय सिंह सेंगर ने किया। सर्वप्रथम मां सरस्वती के भव्य चित्र को सभी साहित्य सेवियों ने पुष्प मालाएं पहिनाईं। डॉ. देवीदयाल स्वर्णकार श्चिंतक्य ने मां सरस्ती की वंदना की तथा श्संत्य नाम की कविता सुनाई, बानगी देखें- संत समागम हरिकथा जिस-जिस घर नित होय। सुर मुनि नर सब देव मिल करहिं आरती जोय। करत आरती जोय धाम सत लोक कहावे, पाप पुण्य सब क्षीण धाम सतलोक सिघाये। बिन भरोस कोई कारज नहिं बनता, बिन हरि कृपा मिलहिं नहिं संता। आगे कवि सुमेर सिंह श्सुमेर्य ने विवेकानन्द जयंती के संबंध में कविता पढ़ी- विवेकानंद जी की जयंती, विवेका ने कहा, पूरे जग ने सुना। जब याद आए तो वे सपने बन गए। इस माया के भीतर वो बृह्म बैठा है, जो हमने सुना तो वे अपने बन गए। कवि अरुण चतुर्वेदी श्अरुण्य ने गागर में सागर भरते हुए हिन्दी भाषा पर बोट की राजनीति पर काव्य पाठ किया, बानगी देखिए- सत्तर सालों तक लिए जिस भाषा में बोट। एक बार तो दीजिए इस भाषा को बोट।

इसी क्रम में कवि प्रदीप बाबा बाबा ने विश्व युद्ध के खतरे पर बड़ी शक्तियों को ललकारा- मिसाइल ने विमान को गिरा दिया। घर के मारे ट्रम्प का मानसिकत पम्प फट गया। ईरान ने अमेरिका को आतंकवादी घोषित कर दिया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कवि आशुतोष शर्मा आशु ने स्वामि विवेकानंद का एक संस्मरण लक्ष्य पर अडिग रहना सुनाते हुए कहा कि एक बार एक परेशान व्यक्ति स्वामी के पास आया और उसने अपनी समस्या बताई, तो स्वामी जी उसे अपना श्वान दे दिया और कहा कि इसे घुमाकर लाओ, वह व्यक्ति वैसा ही करता है। भासा सदन के महामंत्री कवि रामसिया शर्मा करुण्य की माताजी के निधन पर सभी ने दो मिनिट खड़े होकर मौन धारण किया एवं उनके परिजनों के लिए ईश्वर से प्रार्थना की कि वे उन्हें दुख सहन करने का साहस प्रदान करें। साथ ही उनकी दिवंगत माताजी की आत्मा को शांति प्रदान करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की।

Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com