गरीबों के हक पर डांका, अन्न उत्सव नहीं मन सका
दतिया @rubarunews.com>>>>>>>ग्राम अगोरा में उड़ी अन्न उत्सव की धज्जिया,एक बजे तक पड़ा रहा केंद्र पर ताला। प्राप्त सूचनाओं के माध्यम से स्पष्ट है कि आज जिले भर में जहाँ अन्न उत्सव अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया। कही सर्वर न होने से राशन वितरण ठप रहा तो कही ताले ही नहीं खुले। सेवा सहकारी समिति दुर्गापुर के राशन वितरण केंद्र अगोरा पर आज सुबह से ताला लगा रहा ओर सेल्समैन दोपहर 1 बजे के बाद पहुंचा। यहां के ग्रामीण सेकड़ो की सँख्या में राशन वितरण केंद्र पर अन्न उत्सव मनाए जाने का इंतजार करते रहे।
सरपंच व सचिव ग्राम पंचायत ने बताया
ग्राम पंचायत अगोरा सरपंच हरीराम अहिरवार ने बताया कि कलेक्टर महोदय के निर्देशानुसार सभी हितग्राहियों को आज उपस्थित हिने की सूचना दी गई किंतु आज सुबह से अगोरा में केंद्र नहीं खुला। वही सचिव ग्राम पंचायत सोवरन सेन ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार के निर्देशानुसार आज अन्न उत्सव के तहत पात्र हितग्राहियों को राशन सामग्री निर्धारित मात्रा में मिलना चाहिए थी किंतु दुकान संचालक अब तक नहीं , जबकि हितग्राही सुबह 9 बजे से इंतजार में बैठे है।
हितग्राहियों के बोल
ग्रामीणों के अनुसार अगोरा गांव में अन्न उत्सव नही मनाया जा रहा क्योंकि सेल्समेन दोपहर 1 बजे के बाद आया। सेल्समैन के आने के बाद जब उसने एक माह का राशन देने की बात कही तो ग्रामीण इस बात पर सहमत नहीं हुए। ग्रामीणों के अनुसार पिछले 4 माह का राशन नहीं बांटा गया वह भी उपलब्ध कराओ जिससे राशन विक्रेता और ग्रामीण आपस में पिछले राशन को लेकर उलझे रहे। हाल यह है कि दोपहर 2 बजे तक यहां ताला तक नहीं खोला गया। अन्न उत्सव मनाया जाना तो दूर की बात है।
सेल्समैन ने विचार बताए, ग्रामीणों ने किया विरोध
रूबरू न्यूज को सेल्समैन यादव ने बताया कि तौल मशीन खराब हो गयी थी साथी ही POS मशीन लाना भूल गये थे। 1 बजे के बाद आने पर हितग्राही दुकान नहीं खोलने दे रहे वे एक साथ पिछले 4 माह का राशन मांग रहे हैं। स्टॉक केवल एक माह का है। कुछ हितग्राहियों के राशन कार्ड उनके पास रखे हिना भी स्वीकार किया।
प्रदेश सरकार के आदेश की उड़ी धज्जियाँ। यह स्थिति जिला मुख्यालय से मात्र 5 किमी दूर स्थित अगोरा गांव की है तो अंदाज लगाया जा सकता है कि दूरस्थ अंचल में किस प्रकार के हालातों से गरीबों को गुजरना होगा। गौर तलब है कि वरिष्ठ अधिकारियों तक सूचना पहुंचने के बाद भी नहीं आया कोई भी गरीबों की सुध लेने। गरीबों के हक पर मिली भगत से डाला जा रहा है डांका। ग्रामीण हुए लामबंद।