निर्विवाद रूप से लक्ष्मी पूजन एवं दीपावली 1 नवंबर को
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>>आगामी दिवाली त्योहार आयोजन की तिथि संबंधी उत्पन्न संदेह और भ्रम को दूर करने हेतु बूंदीस्थ ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र परिषद कार्यकारिणी की विशेष बैठक ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीकांत शर्मा चालकदेवी वाले ने की अध्यक्षता में सोमवार को शहर के लाल बिहारी जी चौक स्थित माधव ज्योतिष कार्यालय पर संपन्न हुई। बैठक में सर्वसम्मति से दीपावली पर्व शुक्रवार 1 नवंबर को मनाने का निर्णय लिया। बैठक का संचालन मंत्री पंडित पुरुषोत्तम शर्मा ने किया।
आयोजन में पं. लक्ष्मीकान्त शर्मा ने धर्म सिंधु ग्रंथ के संदर्भित तथ्यों का स्पष्टीकरण हेतु प्रस्तुत करते हुए बताया कि उल्लेख अनुसार “तत्र सूर्योदय व्याप्यास्तोत्तरम् घटिकाधिक रात्रि व्यापिनी दर्शे सति न सन्देह:” अर्थात जिस दिन अमावस्या सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद तक एक घटि (24 मिनट) से अधिक रहे उसी दिन बिना किसी सन्देह व भ्रम रहित होकर श्री महालक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए। यह योग दिनांक 1 नवम्बर को बन रहा है, इस दिन उदय कालीन अमावस्या है और सूर्यास्त के पश्चात् 34 मिनट तक उपस्थित रहेगी। अत: निर्विवाद रूप से इसी दिन दीपावली पर्व व महालक्ष्मी पूजन किया जाना शास्त्र सम्मत है। पं. विनोद शर्मा जगन्नाथपुरा ने शंकाओं को निरर्थक बताते हुए विभिन्न भ्रम के संबंध में तार्किक स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि इस संबंध में कोई विवाद नहीं है अतः जनमानस को निश्चिन्त होकर एक नवंबर को ही दीपज्योति पर्व मनाकर स्वयं और विश्व के कल्याण की मंगल कामना करनी चाहिए।
यह विद्वतजन रहे मौजूद
बैठक में धर्मशास्त्र परिषद के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीकांत शर्मा चालक देवी वाले, मंत्री पंडित पुरुषोत्तम शर्मा, पंडित संपूर्णानंद शुक्ला, पंडित गौरीशंकर शर्मा ठीकरदा, पंडित नवल किशोर शर्मा, पंडित सीताराम जोशी, पंडित मनोज जोशी, पंडित अनिल वेदाचार्य, पंडित प्रहलाद शर्मा, पंडित विनोद शर्मा जगन्नाथपुरा, पंडित संदीप चतुर्वेदी, पंडित मधुसूदन गौतम, पंडित लक्ष्मीकांत शर्मा एवं डॉ सर्वेश तिवारी ने आमजन से प्राप्त विभिन्न प्रश्नों का निदान प्रस्तुत करते हुए कहा कि 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने के पक्षधर विद्वान इस संबंध में कोई शास्त्रीय प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पा रहे है।
जिले की सबसे पुरानी संस्था है बूंदीस्थ ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र परिषद
उल्लेखनीय है कि रियासत काल से संस्थापित यह जिले की सबसे पुरानी संस्था है, परिषद द्वारा एक वर्ष पूर्व ही यह निर्णय पारित कर दिया गया था जिसे यथावत रखा गया है। परिषद द्वारा जनहित में मार्च 1951 से लगातार जन मानस को मार्गदर्शन एवं विवाद रहित आयोजन के संबंध में जानकारी देने हेतु प्रतिवर्ष मुखपत्र व्रतोत्सवादि पत्रम् का नियमित प्रकाशन किया जा रहा है।