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भिण्ड.ShashikantGoyal/ @www.rubarunews.com>> गोहद थाना क्षेत्र स्थित बकनासा गांव में 13-14 जून की मध्य रात मेघ सिंह पुत्र तुला सिंह तोमर (उम्र-48) अपने घर से दूर गौंड़ा में भैंस की रखवाली करने के लिए सो रहा था। रात के समय अज्ञात चोर आए, उनकी संख्या 5 थी। सोते में मेघ सिंह को तीन बदमाशों ने दबोच लिया और दो बदमाश भैंस को ले गए। सुबह के समय भैंस मालिक मेघ सिंह, पुलिस थाना एंडोरी पहुंचे। यहां पर फरियादी ने पीड़ा सुनाई। इस पर पुलिस ने शिकायती आवेदन लेकर चलता कर दिया। फरियादी ने दो से तीन दिन तक भैंस चोर पकड़े जाने के लिए पुलिस थाना के चक्कर काटे। परंतु यहां पुलिस का कोई रिस्पॉस नहीं मिला। इसके बाद फरियादी ने ष्टरू हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। इधर, फरियादी ने गांव के कुछ लोगों की मदद से चोरी गई भैंस की तलाश शुरू की। जब फरियादी के परिजनों ने आस पास के गांव के लोगों से संपर्क किया तो भैंस चोर गिरोह की जानकारी भी फरियादी को लग गई। मध्यस्थ के माध्यम से भैंस को लौटाए जाने की बात चलाई तो एक लाख रुपए की भैंस वापस करने के 70 हजार रुपए मांगे जा रहे हैं। परंतु फरियादी को भैंस का सुराग नहीं मिल रहा है आखिर बदमाशों ने भैंस को कहां छिपाकर रखा है। इधर, फरियादी का कहना है कि भैंस प्रति दिन 14 लीटर दूध देती है। बाजार कीमत एक लाख रुपए है। पुलिस थाने में भैंस चोरी की रिपोर्ट 21 जुलाई को दर्ज की गई जिसकी कीमत 45 हजार आंकी गई।
पनहाई में भैंस के बदले वसूली जाती है रकम
चंबल में पनहाई उसी तरह से वसूली जाती जैसे कि किसी व्यक्ति का अपहरण करने के बाद उसे छोडऩे की फिरौती की रकम ली जाती है। बस, अंतर यह है कि यहां चोर, गाय, भैंस, बकरी आदि को चुराते है। जब पशु मालिक अपने पशु को तलाशता है तो एक मध्यस्थ बीच में आता है जिसके माध्यम से पशु का वापस किए जाने के बादले पशु मालिक से रकम वसूली जाती है। यह रकम, पशु की बाजार की कीमत से आधी या इससे कम-ज्यादा होती है। जब चोरों के पास यह रकम पहुंच जाती है तो वो निश्चित समय और स्थान पर पशु को छोड़कर भाग जाते हैं।
अंचल में अब भी पनहाई का कारोबार बरकरार
दरअसल, यह कारोबार भिंड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, श्योपुर, इटावा, जालौन, झांसी और राजस्थान के धौलपुर सहित कई जिलों में कई दशकों से चल रहा है। यहां पशु चोर गिरोह के सदस्य चार से पांच संख्या में होते है। जो, गांव-गांव बाइक से घूमकर दुधारू पशु की रैकी करते है। इसके बाद वे पूरे प्री प्लान के साथ जानवर की चोरी करते है। कई बार लोडिंग वाहन का भी यह उपयोग करके जानवर को चुराते है। इधर, पशु चोरी की वारदात को लेकर पुलिस का रवैया ढीला रहता है। जब पशु मालिक, स्वयं के स्तर पर तलाश करते है तो चोर गिरोह के सदस्य मधस्थ के माध्यम से पशु मालिक से पैंसा ऐंठने में सफल होते है।
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