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मनोरंजन

‘जीजाजी छत पर कोई है’ के कलाकारों ने अपने जीवन से जुड़े कुछ डरावने अनुभव और घटनाओं के बारे में बताया

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मुम्बई.Desk/ @www.rubarunews.com>> हम डरावनी कहानियां और रहस्य मयी चीजों के किस्सेज सुनते हुए बड़े हुए हैं। यह कहना पूरी तरह गलत नहीं होगा कि हॉरर और मिस्ट्री  ऐसी चीजें हैं जो लंबे समय से ही हमारा मनोरंजन करती आ रही हैं। कई बार यह टाइमिंग की बात होती है कि रोजमर्रा के जीवन और किस्सोंन में एक रहस्यममयी स्थिति मजेदार घटना में तब्दीइल हो जाये। वैसे हो सकता है कि हम सबको अपने जीवन में कभी ना कभी इस तरह की स्थिति से दो-चार होना पड़ा हो। आइये ऐसी कुछ घटनाओं के बारे में जानते हैं सोनी सब के शो ‘जीजाजी छत पर कोई है’(‘jeejaajee chhat par koee hai’) के कलाकारों से। इस शो में एक नये रहस्य  पर से परदा उठने वाला है।

अपने जीवन से जुड़ी ऐसी ही कुछ रहस्यशमयी घटनाओं को याद करते ‘जीजाजी छत पर कोई है’ के कलाकारों ने कुछ बेहद ही डरावने अनुभव साझा किये

हिबा नवाब(Hiba nawab)अपने 3 बजे वाले डर के बारे में बताते हुए कहती हैं, ‘’जब भी कुछ भूतिया या रहस्यनमयी(Whenever something ghostly or mysterious) चीजों की बात होती है मैं उससे दूर रहना ही पसंद करती हूं। भूतों और डरावनी चीजों के बारे में बात करते हुए मुझे बहुत ही डर लगता है और ऐसा लगता है मैं डरकर बेहोश ही हो जाऊंगी। यही वजह है कि मैं ‘जीजाजी छत पर कोई है’(‘jeejaajee chhat par koee hai’)में दोहरी भूमिका निभा रही हूं, जिनमें से एक किरदार साया का है। मैंने अपने डर पर काबू पाने के लिये ही इस भूमिका को चुना। मुझे एक घटना याद है जब मैं घर पर अकेली थी और मैंने घड़ी की तरफ देखा नहीं और लगातार 3 बजे तक एक शो देखती रही। मुझे तो बत्तीे बंद करने में भी डर लगता है और मुझे ऐसा लगता रहता है कि दरवाजे पर कोई है। मुझे पता था कि मेरा डर मेरी मुश्किलें बढ़ाने का काम कर रहा है लेकिन मेरी कभी हिम्मईत नहीं हुई कि मैं कमरे की बत्तीम बंद करके पूरी रात सो पाऊं।‘’

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अपने टीनएज के दिनों को याद करते हुए, अनूप उपाध्याय(Anoop Upadhyay) यानी जल्दीेराम शर्मा कहते हैं, ‘’यह उन दिनों की बात है जब मैं 12वीं में पढ़ता था। मैं और मेरे तीन दोस्तोंी ने मिलकर अपने एक दोस्तह के घर पर पूरी रात जगकर पढ़ाई करने का प्लानन बनाया। वह एक बड़ी-सी हवेली में रहता था, जिसमें कई सारे बरामदे और बीचोंबीच एक मंदिर था। वह ठंड की रात थी और हम सभी बरामदे से लगे कमरे में पढ़ने के लिये गये, हमें इस बारे में पता नहीं था कि उसमें कोई लॉक नहीं है। चूंकि हमने से कोई भी बिस्तअर और कम्ब ल से निकलना नहीं चाहता था। हम सिर्फ पढ़ाई के बारे में सोच रहे थे। हमारे दोस्त के पिताजी ने पहले ही हमें यह चेतावनी दे दी थी कि आधी रात को अगर कोई आवाज सुनायी दे तो उसे अनसुना कर देना। बस पढ़ना या फिर सो जाना। हमें लालटेन में पढ़ाई करते हुए अभी सिर्फ 15-20 मिनट ही हुए थे, मुझे हवेली की सीढ़ियों से घुंघरूओं की आवाजें सुनायी देने लगीं। हमें वह आवाज अपने कमरे के करीब आती हुई महसूस हो रही थी और उस समय हम काफी डर गये थे। कुछ समय बाद हमने महसूस किया कि हमारे दरवाजे के बाहर से आवाजें आनी बंद हो गयी हैं। कुछ देर के बाद, हमने वह आवाज सीढ़ियों पर वापस जाती हुई सुनी और फिर गायब हो गयी। सचमुच नहीं पता कि वह कोई भूत था या फिर कोई भक्तआ जोकि मंदिर में पूजा करने आया था, लेकिन मेरे जीवन की उस घटना ने मुझे हिलाकर रख दिया था। मैं आज भी उसे एक मजेदार रात के रूप में याद करता हूं लेकिन घुंघरूओं का वह रहस्यह आज भी अनसुलझा है।‘’

शुभाशीष झा(Shubhashish Jha)अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहते हैं, ‘’मैं एक कम्प्यूटर इंजीनियर हूं। कॉलेज के दिनों में हमारे हॉस्टल से जुड़ी एक अफवाह थी कि हॉल के आस-पास कोई रहस्य्मयी चीज घूमती है। वह मेरी जिंदगी की एक घटना थी जहां मुझे अपने कमरे से निकलकर वॉटर कूलर तक खुद के लिये पानी लाने में भी डर लगा था। उन अफवाहों की वजह से मेरे दो हफ्ते डरावने सपने के बीच गुजरे। मेरे घर के लोगों ने जो टोटके बताये थे उन्हें भी मैंने आजमा कर देखा। जैसे अपने तकिये के नीचे हनुमान चालीसा रखकर सोना और सच पूछो तो मैंने सारी चीजें करके देखीं, लेकिन उन सपनों ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा। आखिरकार कुछ समय बाद अपने आप ही वो सपने आने बंद हो गये, लेकिन जैसे ही छुटि्टयां शुरू हुईं, ज्याकदातर स्टूेडेंट्स अपने घर चले गये और सिर्फ 5-6 लोग हॉस्टहल में रह गये। उस रात बारिश हो रही थी और मेरे दोस्ता ने मुझे कैम्पसस के बाहर उसके साथ रहने को कहा लेकिन मैंने उसकी बात को कभी गंभीरता से नहीं लिया। मैं हॉस्टतल में रहना चाहता था क्यों कि वहां मुझे अपनापन सा महसूस होता था। सारे लोगों के चले जाने के बाद, पहली रात मैं अपने कमरे से थोड़ी दूरी पर एक कॉमन वॉटर कूलर से पानी लेने गया। मेरे आस-पास का माहौल काफी डरावना था, बाहर तेज बारिश हो रही थी और ईको सुनाई पड़ रहा था। मुझे वे सारी अफवाहें याद आने लगीं और मुझे वहां जाने में डर लगने लगा। सच कहूं तो मैं चाहता था कि कोई और मेरे लिये पानी ले आये, लेकिन मैं अकेला था और वह अनुभव डरा देने वाला था। मैं काफी डरा हुआ था। उस घटना के अगले ही दिन ही मैं अपने दोस्तक के फ्लैट पर चला गया और कुछ दिनों के लिये उसके साथ ही रुका।‘’

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Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com

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Umesh Saxena

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