हाड़ौती क्षेत्र में ऑतरी के गुड़ की फैल रही सुगंध, किसानों को मिल रहा आर्थिक लाभ
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-बूंदी जिले की तलवास ग्राम पंचायत के गांव दो पहाड़ों के मध्य 24 किलोमीटर लंबाई में बसे हुऐ है। इस क्षेत्र को ऑतरी के रूप में जाना जाता है।ऑतरी क्षेत्र के गांव कृषि व पशुपालन, मजदूरी पर ही निर्भर है। वर्तमान में आंतरी क्षेत्र में काफी रकबा में गन्ने की खेती भी हो रही है। सर्दी का मौसम प्रारंभ होने के साथ ही इस क्षेत्र में गुड़ की सुगंध फैलने लग जाती है। सैकड़ों बीघा में स्थित गन्ना की पेराई का कार्य वर्तमान में चालू है । तलवास के गुड़ की महक हाड़ौती क्षेत्र में ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े शहरों में तथा राज्य के बड़े शहरों के अलावा राज्य के बाहर भी मांग बढ़ती जा रही है। तलवास के नाम से अन्यत्र गुड़ बेचा जा रहा है।
आंतरी क्षैत्र मे पानी की हे पर्याप्तता
किसानों से गन्ने की फसल के संदर्भ में जानकारी लेने पर पाया कि यह फसल पानी पर निर्भर करती है। इस क्षेत्र में पानी की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है। वर्षा काल में अधिक वर्षा होने पर भी यह फसल नष्ट नहीं होती है। जबकि वर्षा कालीन फसल अधिक वर्षा होने से नष्ट हो जाती है । इस वजह से भी किसान गन्ने की फसल को करने में विशेष रूची रखते हैं ।
अन्य फसल से गुड़ की फसल ज्यादा फायदेमंद
अन्य फसलों की तुलना में गुड़ की फसल से किसानों को आर्थिक ज्यादा फायदा मिलता है। जिसकी वजह से भी किसानों को यह फसल रास आ रही है। वर्तमान में प्रति 5 किलो गुड़ ( एक नग ) 300 रुपये प्रति नग ( 5 किलो ) बिक रहा है। अधिक मांग होने से किसानों को बाजार दर से भी ज्यादा लाभ मिल रहा है। आंतरी क्षेत्र में काफी संख्या में चरखीयां चलने के बाद भी गुड उपलब्ध नहीं हो पा रहा है । गुड़ की एडवांस मांग चल रही है। तलवास गांव के पास आंतरदा रोड वाले क्षेत्र को गुड़गांव के नाम से जाना जाता है। स्टेट समय में यहां पर काफी मात्रा में गन्ना पैदा किया जाता था , जिस वजह से ही इस क्षेत्र को गुड़गांव के नाम से जाना जाता रहा है। तलवास के पास ही पत्थर की चरखीयां बनी हुई थी जिसमें गन्ने को पिरोया जाकर गुड़ बनाने का कार्य किया जाता था। वर्तमान युग में मशीनी युग के कारण बेल की जगह डीजल इंजन, विद्युत मोटर से यह कार्य किया जाता है।
गुड का रखरखाव सही नहीं होने पर हो जाता है खराब
गत वर्षो में 1 वर्ष के अंदर ही गुड़ के अंदर जीवाणु पैदा होने की शिकायत भी मिली है। जिसका कारण रख रखाव सही नहीं होना बताया गया है । जबकि वर्षों पूर्व कई वर्षों तक गुड़ का भंडारण किया जाता रहा है। लेकिन पूर्व में कभी भी गुड खराब नहीं होता था जिसका कारण गुड़ को कमरों के अन्दर खुले में रखना बताया जाता है। जबकि वर्तमान में गुड को बंद डिब्बों में रखा जाता है, जिसकी वजह से गुड खराब होना बताया जा रहा है ।
के.पाटन शुगर मिल पुनः प्रारंभ की मांग
पूर्व में के.पाटन शुगर मिल होने के कारण इस क्षेत्र में भी किसानों के द्वारा भारी मात्रा में गन्ना पैदा किया गया था। जिसकी वजह से किसानों को आर्थिक लाभ भी मिला था, लेकिन के.पाटन शुगर मिल बंद होने के बाद से ही किसानों ने गन्ना कम पैदा करना प्रारंभ कर दिया गया। किसान बताते हे कि शुगर मिल वापस चालू हो जाए तो गन्ना ज्यादा पैदा कर गन्ना फैक्ट्री को विक्रय से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। यह फसल अन्य फसलों की तुलना में अधिक आर्थिक लाभकारी है । इस क्षेत्र में शुगर मिल का स्थापित होना किसानों के हित में होगा।