यूआईटी पर बिना पूर्व सूचना के मकान व दुकानें तोड़ने का आरोप, लोगों ने जताया आक्रोश
कोटा.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- गोबरिया बावड़ी बचाव संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बयान जारी कर नगर विकास न्यास द्वाराा गोबरिया बावड़ी कच्ची बस्ती में शनिवार को पूर्व सूचना दिये मकान व दुकानें तोड़ने पर आक्रोश व्यक्त किया है। समिति के अध्यक्ष आरसी नागर ने बताया कि गोबरिया बावड़ी चौराहे पर सड़क को चौड़ा करने के लिए यूआईटी दुकान व मकान तोड़ने की कार्यवाही कर रही है। लेकिन अभी तक जिन लोगों की दुकानें व मकान तोड़े जा रहे हैं, उन्हें कोई दुकान या मकान के लिए जगह नहीं दी गई है, पुर्नवास किये बिना यूआईटी मनमानी कर रही है। शनिवार को अचानक कार्यवाही करने पहुंचे यूआईटी दल को देखकर भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई, उन्होंने आरोप लगाया कि भारी पुलिस बल के साथ कार्यवाही को देखकर लोग तनावग्रस्त माहौल में बेबसी से अपने आशियानों को तोड़ते हुए देखते रहे।
समिति ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि समिति इस प्रकार की कार्यवाही का कड़ा विरोध करती है। समिति द्वारा तीन दिन पहले स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल से मिलकर अनुरोध किया था, इस पर धारीवाल ने उन्हें मामले को दिखवाने का आश्वासन दिया था। फिर भी यूआईटी द्वारा लोगों को डराया व धमकाया जा रहा है।
समिति ने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा भेदभावपूर्ण नीति अपनाकर लोगांे को बेघर करना चाहता है, उन्होंने मीडिया के माध्यम से प्रशासन को आगाह किया कि पहले बस्तीवासियों का पुर्नवास करे, उसके बाद विकास करें, अन्यथा बस्तीवासी भूख हड़ताल पर बैठने को विवश होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
समिति ने विज्ञप्ति में कहा कि 16 महीने से कोरोनाकाल व लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है, बाल-बच्चों के पेट भरने तक को मोहताज हो रहे हैं, दो साल से कोई काम धंधा नहीं है, ऐसे मुश्किल समय में भी यूआईटी हमें उजाड़कर हमें बेघर करने पर तुली हुई है। प्रशासन कोरोनाकाल में बस्ती के लोगों के सामने भय का माहौल बनाकर उन्हें बेघर करना चाह रहा है, अभी आम जनता कोरोनाकाल व लॉकडाउन का दंश झेल रही है, काम-धंधे सब चौपट हो गए हैं, अपनी दो वक्त की रोटी का संकट पैदा हो गया है। ऐसे मंे जिनकी मकान व दुकानें टूट रही हैं, वे लोग आखिर कहां जाएंगे, कैसे कमाएंगे, कैसे रोजगार करेंगे।