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रोगियों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही पंचकर्म चिकित्सा इकाई

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बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- पंचकर्म विशिष्टता केन्द्र बूंदी में प्रभावी पंचकर्म चिकित्सा से हजारों जटिल, जीर्ण एवं कष्टसाध्य रोगियों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है। पंचकर्म चिकित्सा इकाई में हो रहे प्रभावी उपचार के चलते स्थानीय रोगियों के अलावा दूर दराज से भी रोगी यहां उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में संचालित यह पंचकर्म विशिष्टता केंद्र अपने 4 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। पिछले 48 महीनों से वर्तमान स्वरूप में संचालित पंचकर्म विशिष्टता केंद्र में अब तक देश के 11 राज्यों के 50000 से अधिक रोगियों का उपचार किया जा चुका हैं। मेडिकोट्यूरिज्म के तहत 25 देशों के 252 विदेशी रोगियों का पंचकर्म उपचार भी किया जा चुका है। अपनी विशिष्ट सेवाओं तथा जटिल, जीर्ण और कष्टसाध्य रोगों से पीड़ित रोगियों को प्रभावी और त्वरित राहत प्रदान करने के चलते बूंदी के पंचकर्म विशिष्टता कैंद्र ने पूरे देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
पीएमओ और पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ सुनील कुशवाह ने बताया कि आरोग्य समिति और भामाशाहों के सहयोग से पिछले 48 महीनों से देश के 11 राज्यों के 50000 से अधिक रोगियों का उपचार किया जा चुका है । मेडिकोट्यूरिज्म के तहत 25 देशों के 252 विदेशी रोगियों का पंचकर्म उपचार भी किया जा चुका है। अपनी विशिष्ट सेवाओं तथा जटिल, जीर्ण और कष्टसाध्य रोगों से पीड़ित रोगियों को प्रभावी और त्वरित राहत प्रदान करने के चलते बूंदी के पंचकर्म विशिष्टता कैंद्र ने पूरे देश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इस पंचकर्म सेंटर को अब तक आरोग्य समिति, भामाशाहों के सहयोग से विधायक कोष, डीएमएफटी फंड, दानदाताओं द्वारा 67 लाख रुपए से अधिक का सहयोग प्राप्त हुआ हैं, जिसके द्वारा मरीजों को सुविधा निरन्तर दी जा रही हैं।
इन रोगों का हो रहा हैं उपचार
यहां मुख्य रूप से ओस्टियो आर्थराइटिस, स्पोंडिलोसिस, साइटिका एवीएन, वेरिकोस वैन, न्यूरोमस्कुलर डिजीज, गठिया, माइग्रेन, मानसिक व्याधियां, तनाव, अनिद्रा, मोटापा, जन्मजात विकृतिजन्य बच्चों (यथा सेरिब्रल पाल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रोफी) का प्रभावी उपचार किया जा रहा है। सीमित संसाधनों के कारण रोगियों को उपचार के लिए लंबी इंतजार से बचाने के लिए रोगी सुविधाएं बढ़ाने के लिए सक्षम स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
पंचकर्म चिकित्सा सेवाएं शुरू होने का इंतजार
विश्व स्तरीय पंचकर्म चिकित्सा सेवाएं व्यापक स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा मार्च 2021 में गांधीग्राम, न्यू माटूंडा रोड पर आवंटित 5 बीघा भूमि पर विधायक कोष द्वारा 10 लाख रूपए से बाउंड्रीवॉल कराई जा चुकी है। वहीं जून 2022 में बूंदी जिला कलेक्टर के निर्देशन में केरल की तर्ज पर उत्तर भारत के सबसे बड़े पंचकर्म उत्कृष्टता केंद्र बनाने के लिए 52 करोड़ के प्रस्ताव तैयार करके आयुर्वेद निदेशालय के माध्यम से आयुष मंत्रालय को भिजवाये जा चुके हैं। क्षेत्रीय सांसद एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी फरवरी 2023 के अपने बूंदी प्रवास के दौरान इन प्रस्तावों को शीघ्र ही मंजूरी दिलवाने के आयुष शासन सचिव को निर्देश दिए थे। अगर ये प्रस्ताव मंजूर हो जाते हैं तो बूंदी आयुर्वेद मेडिकोट्यूरिज्म का हब बनकर उभरेगा तथा पूरे उत्तर भारत के लोगों को व्यापक स्तर पर बेहतर आयुर्वेद स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो पायेंगी। भाजपा सरकार बनने के बाद लोकसभा चुनाव के पहले एक्सीलेंस सेंटर की स्व्ीकृति मिलने की उम्मीद जताई जा रही हैं। इसके बाद और ज्यादा आधुनिक सुविधाएं मिल सकेंगी, डॉक्टर और स्टाफ भी बढ़ेगा।
पंचकर्म चिकित्सा क्या हैं
आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा का बड़ा महत्त्व है। इसमें पांच चिकित्साओं वमन, विरेचन, निरूह बस्ती, अनुवासन बस्ती एवं नस्य क्रिया द्वारा दोष का शमन और शोधन कर उस दोष की चिकित्सा की जाती हैं। इस पद्धति में समस्त दोषों को मूलतः निर्हरित कर नष्ट किया जाता हैं। वर्तमान मे प्राकृतिक व स्वास्थ्यवर्धक जीवन शैली की अवहेलना और आधुनिक जीवन शैली के कारण मानस रोग चिंता, भय, तनाव, अवसाद, आघात, शारीरिक रोग हृदय रोग, मोटापा, टॉयरॉइड, मधुमेह, कैंसर, जोड़ों में दर्द, हड्डियों से संबंधी रोग सहित महिलाओं के आर्तव रोग में लाभदायक हैं।
इनका कहना है

मैं विगत 17 साल से माइग्रेन की समस्या से परेशान थी। यहां पर पंचकर्म में दी जा रही शिरोधारा से शत प्रतिशत लाभ मिला है और सिर दर्द, निंद कमर दर्द से राहत मिलने के साथ चश्में के नंबर भी कम हुए हैं।
विजयलक्ष्मी बाथम , भोपाल

बोन टीबी और गठिया से विगत पांच सालों से पीड़ित था और बिना किसी सहारे के उठ बैठ पाने में भी असमर्थ था। जिसका वजन भी लगातार घटकर केवल 36 किलो रह गया था। कोटा, भीलवाड़ा, जयपुर के कई बड़े अस्पतालों में इलाज के बावजूद भी आराम नहीं मिलने परफरवरी 2021 में पंचकर्म चिकित्सा के लिए जिला आयुर्वेद चिकित्सालय बूंदी आया। जहां साप्ताहिक पंचकर्म चिकित्सा थैरेपी के चार राउंड के बाद हनुमंत का वजन बढ़कर 65 किलो हो गया तथा बिना किसी सहारे के वह अपना सारा काम सहित कॉलेज की पढ़ाई सामान्य तरीके से करने लगा हूँ।
हनुमंत मीणा, रोगी, जड़ का गांव

मैं सेरेबल पाल्शी से पीड़ित अपने बेटे आरिश को दो सालों से यहां पंचकर्म के लिए ला रही हूँं। जयपुर, उदयपुर, इंदोर सहित कई शहरों में भी राहत नहीं मिलने पर बेटे को यहां उपचार के लिए लाई थी। मनि में 7 दिन यहां पर शिरोधारा, अभ्यंग व नाड़ी संवेदन किया जा रहा हैं। जिससे बच्चें में कुछ समझ विकसित होने लगी हैं, मम्मी जैसे कुछ शब्द भी बोलने लगा हैं। खुद कुद पकड़ कर चलने भी लगा हैं।
अमरीन नाज, रोगी आरीश की मां, बून्दी

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मेडिकल साइंस में आयुर्वेद मानवता के लिए वरदान हैं।
डॉ. टेस्ला, चिकित्सक, न्यूयॉर्क

आयुर्वेद के सिद्धांतों को कारगर बना कर पूरी दुनिया को लाभान्वित करने के लिए रिसर्च की आवश्यकता हैं।
प्रोफेसर (डॉ) कैमिला न्यूजर्सी

बूंदी का यह केंद्र पंचकर्म चिकित्सा में पूरे राजस्थान में अग्रणी रहा है। गांधीग्राम में आवंटित भूमि पर विश्वस्तरीय पंचकर्म एक्सीलेंस सैंटर स्थापित करने करने के प्रस्तावों को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सहयोग से शीघ्र ही मंजूर करवाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे कि उत्तर भारत का सबसे बड़ा पंचकर्म चिकित्सा केंद्र यथाशीघ्र ही बूंदी में स्थापित हो सके।
अशोक डोगरा, पूर्व विधायक , बून्दी
अपनी विशिष्ट सेवाओं, जटिल, कष्टसाध्य रोगों से पीड़ित रोगियों को राहत प्रदान करने के कारण बूंदी के पंचकर्म विशिष्टता केंद्र ने पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना ली है। अब विस्तार की प्लानिंग है, एक्सीलेंस सेंटर बनने के बाद सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। 4 साल में 44 हजार मरीजों का इलाज कर चुके हैं, देश ही विदेशों से लोग आ रहे हैं।
डॉ. सुनील कुशवाह, पीएमओ और पंचकर्म विशेषज्ञ, बूंदी

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