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सामूहिक विवाह सम्मेलन सामाजिक सौहार्द, महिला सशक्तिकरण और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम- नागर

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-महिला अधिकारिता विभाग द्वारा सामूहिक विवाह से संबंधित विभागीय दिशा-निर्देशों के साथ-साथ आवेदन करने के स्पष्ट प्रावधानों की जानकारी प्रदान करने, बाल विवाह की समस्या पर चर्चा और इसे प्रभावी तरीके से रोकने के उपायों पर विचार करने तथा महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित करने वाली संस्था प्रतिनिधियों, महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्रों के प्रतिनिधियों एवं साथिनो के साथ किया गया।
बैठक में महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक भैरू प्रकाश नागर ने कहा कि सामूहिक विवाह कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज में जाति और धर्म के भेदभाव को समाप्त करना, दहेज प्रथा को खत्म करना और समानता की दिशा में कदम बढ़ाना है। इस पहल से सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा और समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।
  उन्होंने बताया कि बैंठक में सामूहिक विवाह आयोजन के लिए सामान्य प्रावधान, संस्था द्वारा अनुमति एवं अनुदान के ऑनलाईन आवेदन के लिए अपलोड किये जाने वाले दस्तावेज, सामूहिक विवाह आयोजन के लिए विवाह आयोजन स्थल के सम्बंध में शर्ते, सामूहिक विवाह आयोजन हेतु अनुमति, विवाह आयोजन के समय सक्षम अधिकारी या उनके प्रतिनिधि व विवाह पंजियन अधिकारी की उपस्थिति, विवाह पश्चात अनुदान के लिए आवेदन, आवेदन का भुगतान, सूचना एवं व्यय विवरण आदि की जानकारी दी गई।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह अनुदान योजना के तहत सहायता सामूहिक विवाह आयोजन करने वाली संस्थाओं को अब मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह अनुदान योजना के तहत सरकारी सहायता प्राप्त होगी। इस योजना के तहत सर्वधर्म सामूहिक विवाह आयोजनों को 10 लाख रुपए तक का अतिरिक्त अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी।
उन्होंने बताया कि पंजीकृत संस्थाओं को 25 हजार रुपए का अनुदान पहले ही दिया जाता था, लेकिन अब अतिरिक्त 10 लाख रुपए का अनुदान मिलेगा यदि आयोजन में कम से कम 25 जोडे विभिन्न जाति और धर्म से सम्मिलित होते हैं।
उन्होंने बताया कि आवेदन के लिए दस्तावेज जरूरी संस्था के पंजीकरण दस्तावेज, वर-वधू के आयु प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, वधू एवं संस्था के बैंक खाते का विवरण संलग्न करना होता है. अब सामूहिक विवाह आयोजन में विभिन्न जाति व धर्म के कम से कम 25 जोडे़ (कम से कम 5 समाज जाति व धर्म के प्रत्येक के 5 जोड़े जरूरी) के विवाह का आयोजन करने पर संबंधित संस्थान को अतिरिक्त 10 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी.
एक्शन एड-यूनिसेफ जिला समन्वयक जहीर आलम ने बताया कि बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जिसे केवल जागरूकता और प्रभावी कार्यवाहियों के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है। सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के माध्यम से हम न केवल इस प्रथा को रोक सकते हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और समानता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं उन्होंने उपस्थित सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों से अपील करते हुए कहा कि लैंगिक भेदभाव व बाल विवाह की रोकथाम के लिए अपने प्रयासों को और अधिक सशक्त करें और समुदायों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करें।
बैठक में महिला अधिकारिता विभाग जेंडर विशेषज्ञ विनिता अग्रवाल ने मुख्यमंत्री वर्क फ्रोम होम-जॉब वर्क योजना के बारे में, प्रबंधक पूर्णिमा गौतम ने पन्नाधाय सुरक्षा एवं सम्मान केंद्र तथा काउन्सलर सलोनी शर्मा ने महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कानूनी सुरक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करने के तरीके पर चर्चा की।
अंत में पर्यवेक्षक प्रीति बंशीवाल ने सभी संस्थाओं का आभार व्यक्त करते हुए इसे समाज में सामाजिक समरसता एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना है, जो जिले में बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा। इस अवसर पर कनिष्ठ सहायक युगेश, नवल, आनंद, दिव्या सैनी आदि उपस्थित रहे।