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भाषा, संस्कृति, क्षेत्र, प्रस्थान और लोक भारतीय संस्कृति के मूलाधार

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-  राजकीय महाविद्यालय बूंदी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत भारतीय ज्ञान परम्परा केंद्र की स्थापना सेवानिवृत्त प्राचार्य जयकुमार जैन के मुख्यातिथ्य और कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय के सहायक निदेशक प्रो. गीताराम शर्मा के मुख्य वक्तव्य में हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. अनीता यादव ने की।
’भारतीय ज्ञान परम्परा का मूलाधार एवं राष्ट्रोत्थान’ विषय पर व्याख्यान देते हुए प्रो. गीताराम शर्मा ने कहा कि ’न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते’ इत्यादि आर्ष वचनों से आप्लावित भारतीय चिन्तन और संस्कृति में आदिम वैदिक काल से ही विद्याध्ययन और ज्ञानार्जन को महत्व दिया जाता रहा है। प्रो. शर्मा ने कहा कि भारत में शिक्षा का कार्य गणित की बुद्धि नहीं, अपितु दर्शन की भावना पैदा करना है। भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकृति को ईश्वर मानती हुई भारतीय ज्ञान के केंद्र में प्रकृति को रखती है। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मूल अवधारणा के अभिन्न अंग भारतीय ज्ञान परम्परा में वर्णित 64 भारतीय विद्याओं की उपयोगी जानकारी भी दी।
विषय-प्रवर्तन करते हुए कार्यक्रम समन्वयक प्रो.पूर्णचन्द्र उपाध्याय ने कहा कि भाषा, संस्कृति, क्षेत्र, प्रस्थान और लोक भारतीय संस्कृति के मूलाधार हैं और इस भारतीय ज्ञान परम्परा केंद्र का उद्देश्य भी भारतीय ज्ञान-विज्ञान और जीवन दर्शन का प्रचार-प्रसार करना है। इस दौरान सेवानिवृत्त प्राचार्य जयकुमार जैन ने अपने उद्बोधन में प्राचीन ज्ञान परम्परा के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। प्राचार्य डॉ. अनीता यादव ने अध्यक्षीय उद्बोधन में भारत को पुनः विश्व गुरु की पदवी पर प्रतिष्ठित होने के लिए अपनी ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. दिलीप राठौड़ ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया। शान्तिपाठ से सम्पनन हुए कार्यक्रम में वरिष्ठ संकाय सदस्य राहुल सक्सेना, डॉ. दिनेश शुक्ला, डॉ. आशुतोष, आयोजन समिति सदस्य जुबेर खान, संजय भल्ला, दिनेश शर्मा, मेघा गुप्ता, हेमन्त मनवानी और अन्य संकाय सदस्य तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com