नई पीढ़ी को अनुभव परख और व्यवहारिक ज्ञान देना बहुत आवश्यक है
बूंदी.KrishnakantRathore/ @@www.rubarunews.com-बून्दीस्थ ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र परिषद के तत्वाधान में धर्म संसद परिचर्चा तथा आम सभा का आयोजन रविवार को जेत सागर मार्ग स्थित भाव भट्ट अखाड़ा परिसर में स्थित सिद्धनाथ महादेव मंदिर पर किया गया। दो सत्र में हुए आयोजन में अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भविष्यवक्ता, ज्योतिषी, हस्तरेखा विशेषज्ञ और लेखक जोधपुर के पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी आयोजन में डिजिटली सहभागी बने वहीं वाराणसी से आए काशी विद्वत परिषद के आचार्य पं. प्रवीण पांडे तथा ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ के रूप में अनुभवी जोधपुर के वैदिक ज्योतिषाचार्य सूर्य नगरी ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ भैरव प्रकाश दाधीच मुख्य अतिथि रहे। आयोजन की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष पंडित श्रीकांत शर्मा चालक देवी वालों ने की। संस्था सचिव पंडित पुरुषोत्तम शर्मा, क्षेत्रीय मंत्री पंडित रामेश्वर शास्त्री, नंदकुमार दाधीच, रतनलाल शास्त्री, सीताराम जोशी, नवल किशोर (ठीकरदा) एवं महेश गौतम मंचासीन रहे। आयोजन में पुराण आचार्य एवं राष्ट्रीय युवा कथा व्यास पंडित ऋतु राज शर्मा सहित पंडित उच्छब शर्मा और आयोजन सहयोगी अनिल शर्मा का अभिनंदन किया गया।
मुख्य सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए 1950 में संस्थापित काशी विद्वत परिषद से आए आचार्य प्रवीण पांडे ने धर्म संसद और परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए कहां कि तिथि पर्व आदि निर्धारण में क्षेत्रीय पंचांग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है जिसे नकारा नहीं जा सकता। आज के सोशल मीडिया दौर में बहुधा भ्रम की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जो कि अधिकांशत निर्मूल ही होती हैं क्योंकि वास्तविक ज्ञान के अभाव में ऐसा केवल सोशल मीडिया पंडितों की उपज होती है। वस्तुत धर्म दर्शन में व्यापक विवेचना और विश्लेषण के आधार पर निर्णयन मौजूद है जो कि विचार विमर्श व अनुभव पर भी निर्भर करता है। उन्होंने इस प्रकार के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि पर्व त्यौहार आयोजन के संबंध में विवादों के हल करने हेतु इस प्रकार के आयोजन सार्थक हैं। सूर्य नगरी से आए डॉ भैरव प्रकाश दाधीच ने नई पीढ़ी के व्यावहारिक और अनुभव परख ज्ञान से दूर होने पर चिंता प्रकट की। उन्होंने परिवर्तन को प्रकृति का नियम बताते हुए कहा कि समय के साथ-साथ नवीन तकनीक और ज्ञान लाभदायक तो है लेकिन नौसिखियों का अधूरा ज्ञान समाज में दिग्भ्रम की स्थिति बना देता है। सदियों से भारतीय दर्शन और पंचांग समाज के मार्गदर्शक एवं सुदृढ़ आधार ही नहीं विश्व के अग्रदीप भी हैं। दाधीच ने कहा कि भारतीय धर्म दर्शन, गणनाएं अत्यंत सुदृढ़ आधार से निर्मित है और सैकड़ों वर्ष पूर्व की पंचांग गणना आज भी पूर्ण सटीक हैं। आज जन मानस में विश्वास बनाने हेतु धर्म संसद और धर्मशास्त्र परिषद की विवेचना पूर्ण आयोजन अत्यंत आवश्यक हो गए हैं। पंडित श्रीकांत शर्मा एवं पुरुषोत्तम शर्मा ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन पंडित लक्ष्मीकांत शर्मा ने किया। प्रवक्ता ज्योतिषाचार्य विनोद गौतम जगन्नाथपुरा ने बताया कि आयोजन में जिले के विभिन्न क्षेत्र से आए विद्वान आचार्य, ज्योतिषविज्ञ, पंचांगकर्ताओं ने भाग लिया।
इन्होंने की सहभागिता आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों और विधाओं के ज्ञाता संपूर्णानंद शुक्ल, रामचंद्र शास्त्री, ज्योतिषचार्य विनोद गौतम, रवि दत्त शर्मा, उमेश दत्त शास्त्री खटकड़, अनिल वेदाचार्य, उच्छब लाल, त्रिलोक शास्त्री, संदीप चतुर्वेदी, भागीरथ जोशी, पुराण आचार्य ऋतुराज शर्मा,मनोज जोशी, भंवरलाल दोराश्री, राम लक्ष्मण जोशी, अजय शर्मा, हरिमोहन ठीकरदा, राधेश्याम गौतम सांदढ़ी, रामस्वरूप शर्मा, हरीश श्रृंगी, अभिमन्यु शास्त्री, अभिषेक जोशी, हैरम जोशी, डॉ सर्वेश तिवारी, प्रणय कांत, शिवकांत, पंडित लक्ष्मीकांत शर्मा ने सहभागिता की।